________________ पुरिसेणं बुद्धिमया सुहवुड्ढेि भावओ गणंतेणं / जत्तेणं होयव् सुहाणुबंधप्पहाणेण // 150 // वित्तीवोच्छेयम्मि व गिहिणो सीयंति सव्वकिरियाओ / णिरवेक्खस्स उ जुत्तो संपुण्णो संजमो चेव // 151 // तासिं अविरोहेणं आभिग्गहिओ इहं मओ कालो / तत्थावोच्छिण्णो जं णिच्चं तक्करणभावो त्ति // 152 // तत्थ सुइणा दुहा वि हु दव्वे बहाएण सुद्धवत्थेण / भावे उ अवत्थोचियविसुद्धवित्तिप्पहाणेण // 153 // ण्हाणाइ वि ज़यणाए आरंभवओ गुणाय णियमेणं / सुहभावहेउओ खलु विण्णेयं कूवणाएणं // 154 // भूमीपेहणजलछाणणाइ जयणा उ होइ पहाणाओ। एत्तो विसुद्धभावो अणुहवसिद्धो च्चिय बुहाणं // 155 // अन्नत्थारंभवओ धम्मे णारंभओ अणाभोगो / लोए पवयणखिसा अबोहिबीयं ति दोसा य // 156 // अविसुद्धा वि हु वित्ती एवं चिय होइ अहिगदोसाउ / तम्हा दुहा वि सुइणा जिणपूजा होइ कायव्वा // 157 // गंधवरधूवसव्वोसहीहि उदगाइएहिं चित्तेहिं / सुरहिविलेवणवरकुसुमदामबलिदीवएहिं च // 158 // सिद्धत्थयदहिअक्खयगोरोयणमाइएहिं जहलाभं / कंचणमोतियरयणाइदामएहिं च विविहेहिं // 159 // पवरेहिं साहणेहिं पायं भावो वि जायए पवरो / ण य अपणो उवओगो एएसि सयाण लट्ठयरो // 160 // इहलोयपारलोइयकज्जाणं पारलोइयं अहिगं / / तं पि हु भावपहाणं सो वि य इय कज्जगम्मो ति // 161 // ... . 217