________________ इय तंतजुत्तिओ खलु णिरूवियव्वा बुहेहिं एस त्ति / ण हु सत्तामेत्तेणं इमीए इह होइ णेव्वाणं // 127 // किंचेह छेयकूडगरुवगणायं भणंत्ति समयविऊ / तंतेसु चित्तभेयं तं पि हु परिभावणीयं तु // 128 // दव्वेणं टंकेण य जुत्तो छेओ हु रूवगो होइ। टंकविहूणो दव्वे वि ण खलु एगंतछेओ त्ति // 129 // अव्वे टंकण वि कूडो तेणं विणा उ मुद्द त्ति / फलमेत्तो एवं चिय मुद्धाण पयारणं मोत्तुं // 130 // तं पुण अणत्थफलदं णेहाहिगयं जमणुवओगि त्ति / आयगयं चिय एत्थं चिंतिज्जइ समयपरिसुद्धं // 131 // भावेणं वण्णादिहिं चेव सुद्धेहिं वंदणा छेया / मोक्खफल च्चिय एसा जहोइयगुणा य णियमेणं // 132 // भावेणं वण्णादिहिं तहा उ जा होइ अपरिसुद्ध त्ति / / बीयगरूवसमा खलु एसा वि सुह त्ति णिट्ठिा // 133 / / भावविहूणा वण्णाइएहिं सुद्धा वि कूडरूवसमा / उभयविहूणा णेया मुद्दप्पाया अणि?फला // 134 // होइ य पाएणेसा किलिट्ठसत्ताण मंदबुद्धीण / पाएण दुग्गइफला विसेसओ दुस्समाए उ // 135 // अण्णे उ लोगिग च्चिय एसा णामेण वंदणा जइणी / जं तीइ फलं तं चिय इमीए- ण उ अधिगयं किंचि // 136 // एयं पि जुज्जइ च्चिय तदणारंभाउ तप्फलं व जओ। तप्पच्चवायभावो वि हंदि तत्तो ण जुत्त त्ति // 137 // जमुभयजणणसभावा एसा विहिणेयरेहिं ण उ अण्णा / ता एयस्साभावे इमीए एवं कहं बीयं 215