________________ मुत्तासुत्ती मुद्दा समा जहिं दो वि गब्भिया हत्था / ते पुण ललाडदेसे लग्गा अण्णे अलग्ग त्ति // 115 // सव्वत्थ वि पणिहाणं तग्गयकिरियाभिहाणवन्ना(ने)सु / अत्थे विसए य तहा दिद्रुतो छिनजालाए // 116 // ण य तत्थ वि तदणूणं हंदि अभावो ण ओवलंभो वि / चित्तस्स वि विण्णेओ एवं सेसोवओगेसु . // 115 // खाओवसमिगभावे दढजत्तकयं सुहं अणुट्ठाणं / परिवडियं पि हु जायइ पुणो वि तब्भाववुड्डिकरं // 118 // अणुहवसिद्धं एयं पायं तह जोगभावियमईणं / सम्ममवधारियव्वं बुहेहिं लोगुत्तममईए // 119 // जिण्णासा वि हु एत्थं लिंगं एयाइ हंदि सुद्धाए / णेव्वाणंगनिमित्तं सिद्धा एसा तयत्थीणं' // 120 // धिइसद्धासुहविविदिसभेया जं पायसो उ जोणि त्ति / / सण्णाणादुदयम्मि पइट्ठिया जोगसत्थेसुं . // 121 // पढमकरणोवरि तहा अणहिणिविट्ठाण संगया एसा / तिविहं च सिद्धमेयं पयडं समए जओ भणियं // 122 // करणं अहापवत्तं अपुव्वमणियट्टि चेव भव्वाणं / इयरेसिं पढमं चिय भण्णइ करण त्ति परिणामो // 123 // जा गंठी ता पढमं गंठिं समइच्छओ भवे बीयं / अणियट्टीकरणं पुण सम्मत्तपुरक्खडे जीवे // 124 // इत्तो उ विभागाओ अणादिभवदव्वलिंगओ चेव। . णिउणं णिरूवियव्वा एसा जह मोक्खहेउ ति // 125 // णो भावओ इमीए परो वि हु अवड्डपोग्गला अंहिगो / संसारो जीवाणं हंदि पसिद्धं जिणमयम्मि * // 126 // 214