________________ // 82 // एसा खलु गुरुभत्ती उक्कोसो एस दाणधम्मो उ। भावविसुद्धीऍ दढं इहराविय बीयमेयस्स // 80 // जं उत्तमचरियमिणे सोउं पि अणुत्तमा ण पारेन्ति / ता एयसगासाओ उक्कोसो होइ एयस्स // 81 // गुरुणो वि णाहिगरणं ममत्तरहियस्स एत्थ वत्थुम्मि / तब्भावसुद्धिहेउं आणाइ पयट्टमाणस्स णाऊण य तब्भावं जह होइ इमस्स भाववुड्डि त्ति / दाणादुवदेसाओ अणेण तह एत्थ जइयव्वं // 83 // जाणाइगुणजुओ खलु णिरभिस्संगो पयत्थरसिगो य / . इय जयइ न उण अण्णो गुरू वि एयारिसो चेव // 84 // धण्णाणमेयजोगो धण्णा चेटुंति एयणीईए / . धण्णा बहु मण्णन्ते धण्णा जे ण घ्पदुसन्ति // 85 // दाणमह जहासत्ती सद्धासंवेगकमजुयं णियमा / विहवाणुसारओ तह जणोवयारो य उचिओ त्ति अहिगयगुणसाहम्मियपीईबोहगुरुभत्तिवुड्डी य / लिंगं अव्वभिचारी पइदियहं सम्मदिक्खाए // 87 // परिसुद्धभावओ तह कम्मखओवसमजोगओ होइ / अहिगयगुणवुड्डी खलु कारणओ कज्जभावेण // 88 // धम्मम्मि य बहुमाणा पहाणभावेण तदारागाओ / साहम्मियपीतीए उ हंदि वुड्डी धुवा होइ // 89 // विहियाणुट्ठाणाओ पाएणं सव्वकम्मखओवसमा / जाणावरणावगमा णियमेणं बोहवुड्डि त्ति // 90 // कल्लाणसंपयाए इमीएँ हेऊ जओ गुरू परमो / इय बोहभावओ चिय जायइ गुरभत्तिवुड्डी वि // 91 // 211 // 86 //