________________ // 92 // इय कल्लाणी एसो कमेण दिक्खागुणे महासत्तो / सम्मं समायरन्तो पावइ तह परमदिक्खं पि गरहियमिच्छायारो भावेणं जीवमुत्तिमणुहविउं / णीसेसकम्ममुक्को उवेइ तह परममुत्तिं पि दिक्खाविहाणमेयं भाविज्जंतं तु. तन्तणीतीए / सइअपुणबंधगाणं कुग्गहविरहं लहुं कुणइ // 93 // // 94 // // 3 // वन्दनविधिपञ्चाशकम् // . नमिऊण वद्धमाणं सम्मं वोच्छामि वंदणविहाणं / उक्कोसाइतिभेयं मुद्दाविण्णासपरिसुद्धं // 95 // णवकारेण जहण्णा दंडगथुइजुयल मज्झिमा णेया / संपुण्णा उक्कोसा विहिणा खलु वंदणा तिविहा // 96 // अहवा वि भावभेया ओघेण अपुणबंधगाईणं / सव्वा वि तिहा णेया सेसाणमिमीण जं समए // 97 // पावं ण तिव्वभावा कुणइ ण बहु मण्णई भवं घोरं / उचियट्ठिइं च सेवइ सव्वत्थ वि अपुणबंधो त्ति // 98 // सुस्सूस धम्मराओ गुरुदेवाणं जहासमाहीए / वेयावच्चे णियमो सम्मद्दिट्ठिस्स लिंगाइं // 99 // मग्गणुसारि सड्ढो पण्णवणिज्जो कियापरो चेव / / गुणरागी सक्कारंभसंगओ तह य चारित्ती // 100 // एते अहिगारिणो इह ण उ सेसा दव्वओ वि जं एसा / इयरीए जोग्गयाए सेसाण उ अप्पहाण त्ति // 101 // ण य अपुणबंधगाओ परेण इह जोग्गया विजुत्त त्ति / ण य ण परेण वि एसा जमभव्वाणं पि णिट्ठिाः // 102 // 212