________________ जइविस्सामणमुचिओ जोगो नवकारचिंतणाईओ। गिहिगमणं विहिसुवणं सरणं गुरुदेवयाईणं. . // 45 // अब्बंभे पुण विरई मोहदुगुंछा सतत्तचिन्ता य / इत्थीकलेवराणं तव्विरएसुं च बहुमाणो // 46 // सुत्तविउद्धस्स पुणो सुहुमपयत्थेसु चित्तविण्णासो / भवठिइणिरूवणे वा अहिगरणोवसमचित्ते वा // 47 // आउयपरिहाणीए असमंजसचेट्ठियाण व विवागे। खणलाभदीवणाए धम्मगुणेसुं च विविहेसु // 48 // . बाहगदोसविवक्खे धम्मायरिए य उज्जयविहारे / एमाइचित्तणासो संवेगरसायणं देइ // 49 // गोसे भणिओ य विही इय अणवरयं तु चिट्ठमाणस्स / ... भवविरहबीयभूओ जायइ चारित्तपरिणामो __50 // // 2 // दीक्षाधर्मपञ्चाशकम् // णमिऊण महावीरं जिणदिक्खाए विहिं पवक्खामि / वयणाउ णिउणणयजुयं भव्वहियट्ठाय लेसेण // 51 // दिक्खा मुंडणमेत्थं तं पुण चित्तस्स होइ विण्णेयं / ण हि अप्पसन्तचित्तो धम्महिगारी जओ होइ // 52 // चरमम्मि चेव भणिया एसा खलु पोग्गलाण परियट्टे / . सुद्धसहावस्स तहा विसुज्झमाणस्स जीवस्स // 53 // दिक्खाए चेव रागो लोगविरुद्धाण चेव चाउ त्ति / . सुंदरगुरुजोगो वि य जस्स तओ एत्थ उचिओ त्ति // 54 // पयतीए सोऊण व दट्ठण व केइ दिक्खिए जीवे / .. मग्गं समायरन्ते धम्मियजणबहमए निच्चं . // 55 // 208