________________ // 1039 // लेसुवएसेणेते उवएसपया इहं समक्खाया / समयादुद्धरिऊणं मंदमतिविबोहणट्ठाए जाइणिमयहरियाए रइता एते उ धम्मपुत्तेणं / हरिभदायरिएणं भवविरहं इच्छमाणेणं // 1040 // // पञ्चाशकानि // // 1 // श्रावकधर्मपञ्चाशकम् // नमिऊण वद्धमाणं सावगधम्मं समासओ वोच्छं / सम्मत्ताइ भावत्थसंगयं सुत्तणीईए // 1 // परलोयहियं सम्मं जो जिणवयणं सुणेइ उवउत्तो / अइतिव्वकम्मविगमा सुक्कोसो सावगो एत्थ // 2 // तत्तत्थसदहाणं सम्मत्तमसग्गहो ण एयम्मि / मिच्छत्तखओवसमा सुस्सूसाई उ होंति दढं // 3 // सुस्सूस धम्मराओ गुरुदेवाणं जहासमाहीए / . वेयावच्चे णियमो वयपडिवत्तीए (इ) भयणा उ // 4 // जं सा अहिगयराओ कम्मखओवसमओ ण य तओ वि / होइ परिणामभेया लहुंति तम्हा इहं भयणा // 5 // सम्मा पलियपुहुत्तेऽवगए कम्माण भावओ होति / वयपभितीणि भवण्णवतरंडतुल्लाणि णियमेण पंच उ अणुव्ययाइं थूलगपाणवहविरमणाईणि / / उत्तरगुणा तु अण्णे दिसिव्वयाई इमेसि तु थूलगपाणवहस्सा विरई दुविहो य सो वहो होई। संकप्पारंभेहिं वज्जइ संकप्पओ विहिणा // 6 // // 8 // 204