________________ मंडुक्कसप्पकुररऽजगराण कूरं परंपरग्गसणं / परिभाविऊण एवं लोगं हीणाइभेयं ति // 1027 // मंडुक्को इव लोगो हीणो इयरेण पन्नगेणं व / एत्थ गसिज्ज त्ति सो वि हु कुररसमाणेण अनेण // 1028 // सो वि य न एत्थ सवसो जम्हा अजगरकयंतवसगो त्ति / एवंविहे वि लोए विसयपसंगो महामोहो // 1029 // इय चिंतिऊण य भयं सम्मं संजायचरणपरिणामो / रज्जं चइऊण तहा जाओ समणो समियपावो // 1030 // सिद्धो य केवलसिरिं परमं संपाविऊण उज्झाए। सकावयारणामे परमसिवे चेइउज्जाणे // 1031 // . अण्णे वि एत्थ धम्मे रयणसिहादी विसुद्धजोगरया / कल्लाणभाइणो इह सिद्धा णेगे महासत्ता // 1032 // एवं णाऊण इमं विसुद्धजोगेसु धम्ममहिगिच्च / जइयव्वं बुद्धिमया सासयसोक्खत्थिणा सम्मं // 1033 // कलणमित्तजोगादिओ य एयस्स सांहणोवाओ। भणिओ समयण्णूहि ता एत्थ पयट्टियव्वं ति // 1034 // सेवेयव्वा सिद्धंतजाणगा भत्तिनिब्भरमणेहिं / सोयव्वं णियमेणं तेसि वयफ च आयहियं // 1035 // दाणं च जहासत्तिं देयं परपीड मो न कामव्वा / कायव्योऽसंकप्पो भावेयव्वं भवसरूवं // 1036 // मन्ना माणेयव्वा परिहवियव्वा न केइ जियलोए / सोगोऽणुवंत्तियव्वो न निंदियव्वा य केइ त्ति // 1037 // गुणरागो कायव्वो णो कायव्वा कुसीलसंसग्गी / बजेयव्वा कोहादयो य सययं पमादो य // 1038 // ....... 203