________________ पव्वज्जकरण कालेण गयउरे साहुसाहुणीकप्पो / विण्हुसुयदत्त लंखिग रागो तत्थेव परिणयणं // 1015 // जह कह साहुसमीवे वि दुक्करं नत्थि हंत रागस्स। इय आह सूरतेओ देवी किं नीयबोल्लाए ? // 1016 // इय सुहमरागदोसा बंधो नालोइयम्मि कालो य / . सुर भोग चवण वणिलंखगेहजम्मो कलग्गहणं // 1017 // अन्नत्थऽराग कालेण दंसण चक्खुराग परिणयणं / गरिहा हिंडण जतिदंसणाओ सरणेण बोही य // 1018 // . इय थोवोऽवऽइयारो एसो एयाण परिणओ एवं / सुद्धे पुण जोग्गम्मी दुग्गयनारी उदाहरणं // 1019 // सुव्वति दुग्गयनारी जगगुरुणो सिंदुवारकुसुमेहि / पूजापणिहाणेणं उववन्ना तियसलोगम्मि' // 1020 // कायंदीओसरणे भत्ती पूजत्थि दुग्गय त्ति ततो।। तह सिंदुवारगहणं ग़मणंतरमरण देवत्तं . // 1021 // जणदगसिंचण संका मोहो भगवंत पुच्छ कहणा य / आगमणे एसो सा विम्हय गंभीर धम्मकहा // 1022 // एगं पि उदगबिंदुं जह पक्खित्तं महासमुद्दम्मि। जायति अक्खयमेवं पूजा वि हु वीयरागेसु // 1023 // उत्तमगुणबहुमाणो पयमुत्तमसत्तमज्झयारम्मि / उत्तमधम्मपसिद्धी पूजाए वीयरागाणं // 1024 // . एएणं बीजेणं दुक्खाई अपाविऊण भवगहणे / अच्चंतुदारभोगो सिद्धो सो अट्ठमे जम्मे // 1025 // कणगउरे कणगधओ राया होऊण सरयछणगमणे / . दट्टण वइससमिणं जाओ पत्तेयबुद्धो त्ति // 1026 // 202