________________ एवं चिय विनेओ सफलो नाएण पुरिसगारो वि / तेण तहऽक्खेवाओ स अन्नहाऽकारणो ण भवे // 1003 // उवएससफलया वि य एवं इहरा न जुज्जति ततो वि / तह तेण अणक्खित्तो सहाववादो बला एति // 1004 // को कुवलयाण गंधं करेइ महुरत्तणं च उच्छृणं / वरहत्थीण य लीलं विणयं च कुलप्पसूयाणं ? // 1005 // एत्थ य जो जह सिद्धो संसरिउं तस्स संतियं चित्तं / किं तस्सहावमह णो भव्वत्तं वाऽयमुद्देसा // 1006 // जइ तस्सहावमेयं सिद्धं सव्वं जहोइयं चेव / अह णो ण तहा सिद्धी पावइ तस्सा जहऽण्णस्स // 1007 // एसा ण लंघणीया मा होज्जा सम्मपच्चयविणासो / अविय णिहालेयव्वा तहण्णदोसप्पसंगाओ // 1008 // जइ सव्वहा अजोग्गे वि चित्तया हंदि वण्णियसरूवा / पावइ य तस्सहावत्तविसेर्सा णणु अभव्वस्स // 1009 // . अह कह वि तव्विसेसो इच्छिज्जंइ णियमओ तदक्खेवा / इच्छियसिद्धी सव्वे चित्तयाए अणेगंतो // 1010 // अणिययसहावयावि हु ण तस्सहावत्तमंतरेण त्ति / / ता एवमणेगंतो सम्मं ति कयं पसंगेणं . . // 1211 // एवं पि ठिए तत्ते एयं अहिगिच्च एत्थ धीराणं / जुत्तं विसुद्धजोगाराहणमिह सव्वजत्तेण // 1012 // थेवो वि हु अतियारो पायं जं होति बहुअणिट्ठफलो / एत्थं पुण आहरणं विनेयं सूरतेयनिवो // 1013 / / नरसुंदरवुत्तंतं सोउं पउमावती' णयरीए / देवीसहितो राया निक्खंतो सूरतेओ त्ति // 1014 //