________________ ववहारओ पसिद्धा तिण्हा माणो य णिच्छएणेए / आइमगाणं पूया इयरेसिं वहो त्ति ता जुत्तं . // 967 // बज्झेयरचिट्ठाणं अण्णे का सोहण त्ति आहेसो। अण्णयरावोहेणं उभयं भेयाओ एयस्स // 968 // अभिंतरा ण बझं वभिचरइ णिओगओ ण बज्झेवं / अभिंतरं ति अण्णे एग च्चिय उभयरूवे सा // 969 // एवं च मग्गलंभो पव्वज्जाऽऽराहणा य सुपसत्था / दुग्गइदुवारठयणी सुगइसिवपसाहिया चेव // 970 // विसयब्भासाहरणं सुयओ इह सुहपरंपरं पत्तो। .... तित्थगरचूयमंजरिपूजाबीजेण सकलत्तो // 971 // कुसलासयहेऊओ विसिट्ठसुहहेउओ य णियमेण / सुद्धं पुण्णफलं चियं जीवं पावा णियत्तेइ // 972 // सुगणिहि कुंडल सोधम्म ललिय ईसाण देवसेणो य / बंभिंद पियंकर चक्कि सिज्झणा होइ विण्णेया . // 973 // सुविगा पुरंदरजसा उम्मायंती य चंदकंता यः। मइसागरो य मंती पिओ ति पुच्छ य संवेगो // 947 // सुगमरण रायपत्ती कुंडल सुविण तह जम्मनाल णिही / णिहिकुंडल नाम कला जोव्वण इत्थीसु णो राओ // 975 // इय सुविगाए वि अण्णत्थ रायधूयाइ णवर पुरिसम्मि। गुरुजणचिंता मंती णाणे उट्ठीय णामाई // 976 // इयरस्स वि सुविणम्मी तीए रागो मिहो त्ति चित्तम्मि / . दंसण णाणे वरणं लाभो गमणस्स हरणं ति // 977 // मंतट्ठिहरिय घायस्थ मंडले तीऍ पासणं मोक्खो। . गमण विवाहो भोगा पिइवह चिइ तित्थगर दिक्खा // 978 // 18