________________ रायसुया उ परीसह सेसा उवसग्गमाइया एत्थ / गाहण सिक्खा कम्मट्ठभेयओ सिद्धिलाभो उ // 943 // णो अण्णहा वि सिद्धी पाविज्जइ जं तओ इमीए उ। एसो चेव उवाओ आरंभा वड्डमाणो उ // 944 // मग्गण्णुणो तहिं गमणविग्घ कालेण ठाणसंपत्ती / . एवं चिय सिद्धीए तदुवाओ साहुधम्मो त्ति // 945 // . एवंविहं तु तत्तं णवरं कालो वि एत्थ विण्णेओ / ईसि पडिबंधगो चिय माहणवणिरायणाएण // 946 // . सत्थत्थि माहणपुरे वणि जायण सुद्धभूमिगहपाए / णिहि वणि कहणं अग्गह रण्णा सिटे य पण्णवणा // 947 // सुत्तुट्ठियचिंतणमण्णया य सव्वेसि मिच्छ गह विग्धं / मिहु किमियं ति वितक्के केवलि कलि चोग भागगहो // 948 // एवमिह दुस्समेऽयं कलुसइ भावं जईण वि कहिचि / तह वि पुण कज्जजाणा हवंति एए च्चिय जहए. // 949 // अण्णे भणंति तिविहं सययविसयभावजोगओ णवरं / / धम्मम्मि अणुट्ठाणं जहुत्तरपहाणरूवं तु // 950 // . एयं च ण जुत्तिखमं णिच्छयणयजोगओ जओ विसए / भावेण य परिहीणं धम्माणुट्ठाण मो किह णु ? // 951 // ववहारओ उ जुज्जइ तहा तहा अपुणबंधगाईसुं / एत्थ उ आहरणाई जहासंखेणमेयाई // 952 // . सययब्भासाहरणं आसेविय जाइसरणहेउ त्ति / आजम्मं कुरुचंदो मरिउं णरगाओ उव्वट्टो // 953 // मायापिइपीडवत्ती गिलाणभेसज्जदाणमाईहिं / / / तह चिइणिम्मलकरणं जाईसरणस्स हेउ त्ति // 954 // 196