________________ इय एयम्मि वि काले चरणं एयारिसाण विण्णेयं / दुक्खंतकरं णियमा धन्नाणं भवविरत्ताणं // 799 // जे संसारविरत्ता रत्ता आणाएँ तीऍ जहसत्तिं / चेटुंति णिज्जरत्थं ण अण्णहा तेसिं चरणं तु // 800 // मारेति दुस्समाए वि विसाइआ जह तहेव साहूणं / णिक्कारणपडिसेवा सव्वत्थ विणासई चरणं // 801 / / कारणपडिसेवा पुण भावेण असेवण त्ति दट्ठव्वा / आणाएँ तीएँ भावो सो सुद्धो मोक्खहेउत्ति // 802 // . अकिरियाए वि सुद्धो भावो पावक्खयत्थमो भणिओ / / .. अण्णेहि वि ओहेणं तेणगणाएण लोगम्मि // 803 // तेणदुगे भोगम्मी तुल्ले संवेगओ अतेणत्तं / एगस्स गहियसुद्धी सूलहि भेयम्मि सादेंव्वं . // 804 // तह चित्तकम्मदोसा मुटे भोगसमयम्मि अणुतावो / एत्तो कम्मविसुद्धी ग़हणे दिव्वम्मि सुज्झणया . // 805 // इयरस्स गहण कहणा आमं सूलाएँ तस्स भेओ उ। अब्भुवगमणा गुहभेयवुब्भणगुत्तरण मो सम्मं // 806 // विम्हय देवयकहणा कयमिणमेएण भावओ खवियं / संवेगा वयगहणं चोररिसी सुप्पसिद्धो त्ति // 807 // एवं विसिट्ठकालाभावम्मि वि मग्गगामिणो जह उ / पावेंति इच्छियपुरं तह सिद्धि संपयं जीवा // 808 // मउईए वि किरियाए कालेणारोगयं जह उविति / . तह चेव उ णिव्वाणं जीवा सिद्धंतकिरियाए // 809 // दुप्पसहंतं चरणं भणियं जं भगवया इहं खेते / आणाजुत्ताणमिणं ण होंति अहुण ति वामोहो // 810 // 184