________________ आणाबज्झाणं पुण जिणसमयम्मि वि न जातु एवं ति / तम्हा इमीएँ एत्थं जत्तेण पयट्टियव्वं ति // 811 / / णेगंतेणं चिय लोयणायसारेण एत्थ होयव्वं / बहुमुंडादिवयणओ आणावित्तो इह पमाणं // 812 // आयरणा वि हु आणाऽविरुद्धगा चेव होति नायं तु / इहरा तित्थगरासायण त्ति तल्लक्खणं चेयं // 813 // असढेण समाइन्नं जं कत्थति केणती असावज्जं / न निवारियमन्नेहि य बहुमणुमयमेयमायरियं // 814 // किं च उदाहरणाई बहुजणमहिगिच्च पुव्वसूरीहिं / एत्थं निंदसियाई एयाइं इमम्मि कालम्मि // 815 // केणइ रना दिवा सुमिणा किल अट्ठ दुसमसुसमंते / भीई चरमोसरणे तेसिं फलं भगवया सिटुं // 816 // गय वाणर तरु धंखे सिंहे तह पउम बीय कलसे य / पाएण दुस्समाए सुविणाऽणिटुप्फला धम्मे . // 817 / / चलपासाएसु गया चिटुंति पडतएसु वि ण णिति / णिता वि तहा केई जह तप्पडणा विणस्संति // 818 // विरलतरा तह केई जह तप्पडणा वि णो विणस्संति / एसो सुमिणो दिट्ठो फलमत्थं सावगा णेया // 819 // बहुवाणरमज्झगया तव्वसहा असुइणो विलिपंति / अप्पणं अण्णे वि य तहाविहे लोगहसणं च // 820 // विस्लाणमलिंपणया तदण्णखिखा ण एयमसुइ त्ति / सुविणोऽयं एयस्स उ विवाग मो णवरि आयरिया // 821 // खीरतरुसुहछाया तेसिमहो सीहपोयगा बहुगा / चिट्ठति संतरूवा लोगपसंसा तहाहिगमो // 822 // 185