________________ एवं ति अब्भुवगयं ठिओ य णयराओ बाहिरे राया / धम्मकहसवण तोसो सुवणं तत्थेव विहिपुव्वं // 763 // सुमिणो य चरमजामे कप्पलया फलवई तहा छिण्णा / लग्गा विसिट्ठफलया रूवेणऽहिगा य जाय त्ति // 764 / / मंगलपाहाउयसद्दबोहणं सहरिसो तओ राया / विहिपुव्वं गुरुमूलं गओ तहा साहियमिणं तु // 765 // गुरुणो जहत्थ वीणण रण्णो तोसो गवेसणुवलद्धी / सव्वस्स जहावत्तस्स हरिसलज्जाउ तो रण्णो // 766 // मिलणं गुरुबहुमाणो धम्मकहा बोहि सावगत्तं च / बंभवय जावजीवं उभयाणुगयं दुवेण्हं पि // 767 // अहियं च धम्मचरणं चेईहरकारणं तहा विहिणा / पुत्तविवद्धण ठावण णिक्खमणं दाण विहिपुव्वं // 768 // चरमद्धादोसाओ संघयणाइविरहे वि भावेणं / संपुण्णधम्मपालणमणुदियहं चेव जयणाए / // 769 // जयणा उ धम्मजणणी जयणा धम्मस्स पालणी चेव / तब्बुड्डिकरी जयणा एगंतसुहावहा जयणा // 770 // जयणाए वट्टमाणो जीवो सम्मत्तणाणचरणाणं / सद्धाबोहासेवणभावेणाराहओ भणिओ // 771 // - जीए बहुयतरासप्पवित्तिविणिवित्तिलक्खणं वत्थु / सिज्झति चिट्ठाएँ जओ सा जयणाणाणाइ विवइम्मि // 772 // जं साणुबंधमेवं एवं खलु होति निरणुबंधं ति / एवमइंदियमेवं नासव्वण्णू वियाणाति तव्वयणा गीओ वि हु धूमेणऽग्गिंव सुहुमचिंधेहि / . मणमाइएहिं जाणति सति उवउत्तो महापन्नो // 774 // // 773 // . 181