________________ // 644 // अण्णोण्णागमणिच्चं अब्भुट्ठाणाइजोगपरितुट्ठो / जत्तेणं हेटुवरिं पमज्जणाए समुज्जुत्तो // 643 // जावज्जीवं एवं गेलण्णम्मि वि अपरिवडियभावो / आराहगों इमीए तिगरणसुद्धेण भावेण धम्मरुई णामेणं खुड्डो चरिमसमिईऍ संपण्णो / कह वि ण पेहिय थंडिल ण काइयं वोसिरे राई // 645 // जाया य देहपीडा अणुकंपा देवयाए उप्पण्णा / तीऍ अकाल पहायं तहा कयं जह समुज्जोओ // 646 // वोसिरणा अंधारं हंत किमयं ति देवउवओगो / जाणण मिच्छाउक्कड अहो पमत्तोऽम्हि संवेगो // 647 // अण्णो वि य धम्मरुई खमगो पारणग कडुयतुंबम्मि / गुरुवारण नायालोयणाएँ भणिओ परिट्ठवसु // 648 // आवागथंडिलपिपीलियाण मरणमुवलब्भ तसा / / करुणाए सिद्ध वियडण 'भोत्तूण मओ महासत्तो // 649 // मणगुत्तीए कोई साहू झाणम्मि णिच्चलमईओ / सकपसंसा असद्दहाण देवागमो तत्थ // 650 // दिवो उस्सग्गठिओ विउव्वियं जणणि जणगरूवं तु / करुणं च संपलत्तो अणेगहा तत्थ सो तेसिं // 651 // पच्छा भज्जारूवं अण्णपसत्तं समत्तसिंगारं। भूओ य अहिलसंतं ऊसुगमच्चंतणेहजुयं // 652 // तह वि ण मणगुत्तीएँ चलणं णियरूव देव वंदणया / थुणणं लोगपसंसा एवं पि ण चित्तभेओ उ // 653 // वयगुत्तीए साहू सण्णायगठाण गच्छए दटुं / चोरग्गह सेणावइ विमोइउं भणइ मा साह // 654 // . 171 171