________________ एयासिं आहरणा निद्दिट्ठा एत्थ पुव्वसूरीहि / वरदत्तसाहुमादी समासतो ते पवक्खामि . // 607 // वरदत्तसाहु इरियासमितो सक्कस्स कंह वि उवओगो। देवसभाएँ पसंसा मिच्छद्दिट्ठिस्सऽसद्दहणं // 608 // . आगम वियारपंथे मच्छियमंडुक्कियाण पुरउ ति / पच्छा य गयविउव्वण बोलो सिग्घो अवेहि त्ति // 609 // . अक्खोभिरियालोयणगमणमसंभंतगं तहच्चेव / गयगहणुक्खिवणं पाडणं च कायस्स सयराहं // 610 // ण उ भावस्सीसि पि हु मिच्छादुक्कड जियाण पीड त्ति / अवि उट्ठाणं एवं आभोगे देवतोसो उ // 611 // संहरण रूवदंसण वरदाणमणिच्छ चत्तसंगो त्ति / गमणालोयण विम्हय जोगंतरसंपवित्ती य // 612 // संगय साहु कारणिय रोहगे भिक्खणिग्गमण पुच्छा / कत्तो तुब्भे? णगराओ, कोऽभिप्पाओ ! णवि जाणे // 613 / / तत्थ वसंताणं कह ? अव्वावारा उ किमिह जंपंति ? / एत्थ वि अव्वावारो, किं साहणमाणमेत्थं पि // 614 // सुव्वइ दीसइ किंची सव्वं साहिज्जए न सावज्जं / किं वसहेत्थ ? गिलाणो, किमिहाडह?, अपडिबंधाओ // 615 / / चारग तुब्भे ? समणा, को जाणइ ? अप्पसक्खिओ धम्मो / ण हु एत्थं छुट्टिज्जइ, जं जाणह तं करेज्जाहि // 616 // कह सत्ति ? मिय णु सत्तिमयसासणा, को णु एस ? सव्वण्णू / एमाइ अणुचियं सइ भासासमिओ ण भासेइ // 617 // वसुदेवपुव्वजम्मे आहरणं एसणाए समिईए / . . मगहा णंदिग्गामे गोयमधिज्जाइ चक्कयरो . // 618 // 168