________________ सा खलु विसिट्ठपाणगसंबंधगता तु चेतणा णेवं / कुणति सहावातो मती ण जीवभावातो का जुत्ती ? // 84 // अह तु सभावो जुत्ती ण स एव विवादगोयरावनो। अन्नत्थ संकमम्मि य पतीतिबाधा ण य पमाणं // 85 // तम्हा मज्जंगेहिं जायति मज्जं ततो य जीवस्स। . मदसत्तीपरिणामो दधिसंजोगे व्व णिद्दादी // 86 // . एवं ण भूतधम्मो ण य कज्जं चेतण त्ति सिद्धमिदं / जस्सेतं सो आता पसाहगं चेत्थ माणमिदं // 87 // जीवंतदेवदत्तस्सरीरमिच्चादि चेयणासुन्नं / भूतफलत्ता घड इव न य तम्मि तयं अणभिवत्तं // 88 // पच्छा वि अणुवलंभा देहावत्थाएँ अह उ उवलंभो। .. तेहितो सोऽसिद्धो कह ? भणियमिणं पबंधेण // 89 // कायागारादिविसिट्ठपरिणतीविरहतो ण तं तण्णो / णातविरहातोऽमाणं किमेत्थ माणेण ? तदभावो // 90 // सो सज्झो ण उ सिद्धो भणियमिणं तह य उवरिमो वोच्छं / पडिभणियं जं भणियं पवक्खमाणे भणिस्सामो // 91 // भूताणं अविसेसे अण्णंमि य चेतण्णे असंतम्मि / तक्कज्जे चेयन्नं विसमगतीए कहं जुत्तं? // 92 // जह संठाणविसेसो ओहेणं कारणाण तं अस्थि / तो जुत्तो तब्भेदो ण य चेतन्नं कहंचिदवि // 93 // भूतफलत्तं चेयण्णसुण्णया नेति एत्थ किं माणं ? / . णो पच्चक्खं जम्हा सदत्थविसयं तयं सिद्धं // 94 // अणुमाणं पि ण जुत्तं विसिट्टलिंगादिविरहतो लोए / चे आगारो ति तयं ण कारणं कज्जवं णियमा , // 95 //