________________ संतं पि किं ण साहइ ? विगलत्तातो त्ति किं कयं तमिह ? / पाणापाणाभावा ण जीवऽभावेण को हेऊ ? . // 96 // तम्मत्ताऽसिद्धीएं परिणामादीणमब्भुवगमे य / . जीवृम्मि को पदोसो ? जेण मुहा खिज्जसे मतीमं ! // 97 // कह णु मुहा ? तब्भावो ण पमाणबलेण ठाविओ जम्हा / जस्सेतं सो आता परिसेसो वेस जमजुत्तो // 98 // ण हि अपसिद्धे धम्मिणि परिसेसो नात (य) विरहतो एत्थं / / ण चउव्विहणदिपूरे अपसिद्धे तरंगतेसुं च // 99 // धम्मेसुं दुतभरणच्छसिसिरकलुसोदगादिएसं ति / . कलुसोदगत्तणेणं जुत्तमयं वुट्ठिजण्णो त्ति // 100 // किंतु पसिद्धेसुं चिय न एस विधिरत्थि आयमाणम्मि / तन्नो पमाणबलओ तस्सिद्धी एस वामोहो // 101 // जम्हा ण तस्स धम्मो चेतण्णं एतसाहणे जतिमो / किंतुऽणुहवसिद्धमिदं धम्माइ य जं ततो णियमा // 102 // अणुरूवेणं कज्जं इगस्स धम्मादिण त्ति सो य बला / भूतादत्थंतरमो तो आता तस्सभावो वा कोऽयमणुरूवगाहो ? अणुमादीहिं जतो घडादीणं / , दिट्ठो भावोऽह मति तओ वि अणुरूव एव त्ति // 104 // मुत्तत्तादिअणुगमा अणुरूवावगमतो य इतरो वि / अणुगमवावित्तीहि य सति सत्ते तम्मि किमजुत्तं ? // 105 // सव्वेसि सामन्नं जं संतं ता ण णियमहेउ त्ति / घड-पड-रहमादीणं मुत्तत्तादि व्व लोगम्मि ... // 106 // पुढवीतत्ताणुगमो घडमादीणमिह णियमणे हेतू / इय अणुरूवाणुगमे चेतण्णस्सापसिद्धी उ // 107 // 0