________________ पालिज्ज य परिसुद्धे आणाए चेव सति पयत्तेणं / बज्झासंपतीय वि एत्थ तहा निज्जत विउला // 451 // तस्संपायणभावो अव्वोच्छिनो जहो हवति एवं / तत्तो य निज्जरा इह किरियायवि हंदि विनेया // 452 // आहरणं सेट्ठिदुर्ग जिणिदपारणगदाणऽदाणेसु / विहिभत्तिभावऽभावा मोक्खंगं तत्थ विहिभत्ती // 453 // वेसालि वासठाणं समरे जिणपडिम सेट्ठिपासणया / अतिभत्ति पारणदिणे मणोरहो अन्नहिं पविसे // 454 // जा तस्थ दाणधारा लोए कयपुनगो ति य पसंसा / केवलिआगम पुच्छण को पुनो ? जुनसेट्ठि त्ति // 455 // एत्थ हु मणोरहो च्चिय अभिग्गहो होति नवरं विनेओ / जदि पविसति तो भिक्खं देमि अहं अस्स चिंतणओ // 456 // पच्चग्गकयं पि तहा पावं खयमेइऽभिग्गहा सम्मं / अणुबंधो य सुहो खलु जायइ जउणो इहं नायं // 457 // महुराएँ जउणराया जउणावंके य डंडमणगारो। वहणं च कालकरणं सक्कागमणं च पव्वज्जा // 458 // जउणावंके जउणाएँ कोप्परे तत्थ परमगुणजुत्तो / आयावेति महप्पा दंडो नामेण साहु त्ति // 459 // कालेण रायणिग्गम पासणया अकुसलोदया कोवो / खग्गेण सीसछिन्दण अण्णे उ फलेण ताडणया // 460 // सेसाण लेट्ठखेवे रासी अहियासणाएँ णाण त्ति / अंतग़डकेवलित्तं इंदागम पूयणा चेव // 461 // दट्ठण रायलज्जा संवेगा अप्पवहपरीणामो / इंदनिवारण सम्मं कुण पायच्छित्त मो एत्थ // 462 // .. . 155