________________ एगणिमंतणमविगलसाहणजोगोऽकिलेसओ चेव / / भोगो वि य एयस्स उ एवं चिय दइवजोगेण // 355 // अण्णस्स वच्चओ खलु भोगम्मि वि पुरिसगारभावाओ / रायसुयहारतुट्टण रुयणे तप्पोयणाजोओ // 356 // पक्खंतरणायं पुण लोउत्तरियं इमं मुणेयव्वं / पढमंतचक्कवट्टी सगणियलच्छेदणे पयर्ड // 357 // कयमेत्थ पसंगेणं सुद्धाणाजोगतो सदा मतिमं / वट्टेज धम्मठाणे तस्सियरपसाहगत्तेणं // 358 // तस्सेसो उ सहावो जमियरमणुबंधई उ नियमेण / दीवो व्व कज्जलं सुणिहिउ त्ति कज्जंतरसमत्थं // 359 // एत्तो उ दिट्ठिसुद्धी गंभीरा जोगसंगहेसुं ति / / भणिया लोइयदिटुंतओ तहा पुव्वसूरीहिं // 360 // साएयम्मि महबलो विमल पहा चेव चित्त परिकम्मे / णिप्फत्ति छ?मासे भूमीकम्मस्स करणं च . // 361 // दूयापुच्छण रण्णो कि मज्झं णत्थि देव ! चित्तसभा / आदेसो निम्मवणा पहाणचित्तगरबहुमाणो // 362 // अण्णोऽण्णभित्तिजवणिगं किरिया छम्मासओ उ एगेण / णिम्मवणं अनेणं भूमीकम्मं सुपरिसुद्धं ... // 363 // रायापुच्छणमेगो णिम्मवियं बीय भूमिकरणम्मि। आहूसुगणिवदंसण चित्ते तोसो उचियपूजा // 364 // जवणीविक्खेवेणं तस्संकम रम्म रायपासणया / किं वेयारसि ण हु देव ! संकमो जवणिगा णो उ // 365 // रण्णो विम्हय तोसो पुच्छा. एवं तु चित्तविहि सम्मं / .. भावण वण्णगसुद्धी थिरवुड्डी विवज्जओ इहरा // 366 // 14