________________ न हि जोगे नियमेणं जायइ पडिमाइ ण य अजोगत्तं / तल्लक्खणविरहाओ पडिमातुल्लो पुरिसगारो // 343 // जइ दारुं चिय पडिमं अक्खिवइ तो य हंत णियमेणं / पावइ सव्वत्थ इमा अहवा जोग्गंऽपञ्जोग्गं ति // 344 // नय एव लोगणीई जम्हा जोगम्मि जोगववहारो। पडिमाणुप्पत्तीय वि अविगाणेणं ठिओ एत्थ // 345 // एवं जइ कम्मं चिय चित्तं अक्खिवइ पुरिसगारं तु / . णो दाणाइसु पुण्णाइभेय मोऽज्झप्पभेएण // 346 // तारिसयं चिय अह तं सुहाणुबंधि अज्झप्पकारि त्ति / . पुरिसस्स एरिसत्ते तदुवक्कमणम्मि को दोसो ? // 347 // एत्थ परंपरयाए कम्मं पि हुँ तारिसं ति वत्तव्वं / एवं पुरिसं चिय एरिसंत्तमणिवारियप्पसरं // 348 // उभयतहाभावो पुण एत्थं णायण्णसम्मओ णवरं / ववहारो वि हु दोण्ह वि इय पाहण्णाइनिप्फण्णो // 349 // जमुदग्गं थेवेणं कम्मं परिणमइ इह पयासेण / तं दइवं विवरीयं तु पुरिसगारो मुणेयव्वो // 350 // अहवऽप्पकम्महेऊ ववसाओ होइ पुरिसगारो त्ति बहुकम्मणिमित्तो पुण अव्ववसाओ उ दइवो त्ति // 351 // णायमिह पुण्णसारो विक्कमसारो य दोण्णि वणियसुया / णिहिपरतीरधणागम तह सुहिणो पढमपक्खम्मि // 352 // दाणुवभोग णिहिलाभओ दढं अविगला उ एक्कस्स / . परतीरकिलेसागमलाभाओ एवं बीयस्स // 353 // रायसवणम्मि पुच्छा णिवेयणं अवितहं दुविण्हं पि / दइवेयरसंजुत्ता पवायविण्णासणा रण्णो . // 354 // 146