________________ तुल्लाए किरियाए अभव्व-दूरभव्वमाइ जीवाणं / धम्मट्ठाणविसुद्धी एमेव हवेइ इट्ठफला // 367 // अज्झप्पमूलबद्धं इत्तोऽणुट्ठाणमो सयं बिति / तुच्छमलतुल्लमएणं अण्णेऽवज्झप्पसत्थण्णू // 368 // सुद्धाणाजोगाओ अज्झप्पं सति इओ समालोचो / हंदि अणुट्ठाणगओ ततो य तं नियमतो होति // 369 // एसो उ तहाभव्वत्तयाएँ संजोगतो निओगेण / जायति भिन्ने गठिम्मि अनहा णो जतो भणियं // 370 // वेहपरिणामरहिते ण गुणाहाणमिह होति स्यणम्मि। ... जह तह सुत्ताहाणं न भावतोऽभिन्नगंठिम्मि // 371 // जह तम्मि तेण जोगा बज्झा संतो वि तत्तओ जेए। तह दव्वसुत्तजोगा पायं जीवाण विण्णेया // 372 // विसयपडिहासमित्तं बालस्सेवऽक्खरयणविसयं ति। वयणा इमेसु णाणं सव्वत्थऽण्णाणमो णेयं . // 373 // भिन्ने तु इतो णाणं जहक्खरयणेसु तग्गयं चेव / .. पडिबंधम्मि वि सद्धादिभावतो सम्मरूवं तु // 374 // जमिणं असप्पवित्तीएँ दव्वओ संगयं पि नियमेण / होति फलंगं असुहाणुबंधवोच्छेयभावाओ // 375 // एसो य एत्थ पावो मूलं भवपायवस्स विनेओ। एयम्मि य वोच्छिने वोच्छिनो चेव एसो त्ति // 376 // एत्तो च्चिय एयम्मी जत्तोऽतिसएण सेसगाणं पि। . एत्थ दुवे सज्झिलगा वाणप्पत्था उदाहरणं // 377 // अंगिरसगालवा वाणपत्थ लहुगस्स जेट्ठवणगमणे / / निग्गम कुसादिहेउं तस्सियरपडिच्छणं चेव // 378 // 148