________________ रागादिविरहतो जं सोक्खं जीवस्स तं जिणो मुणति / णहि सण्णिवातगहिओ जाणइ तदभावजं सातं // 1380 // दड्डम्मि जहा बीए ण होति पुणरंकुरस्स उप्पत्ती / तह चेव कम्मबीए भवंकुरस्सावि पडिकुट्ठा // 1381 // जम्माभावे ण जरा ण य मरणं ण य भयं ण संसारो / एतेसिमभावातो कहं ण सोक्खं परं तेसि ? // 1382 / / अव्वाबाधाओ चिय सयलिंदियभोगविसयपज्जते / उस्सुगविणिवित्तीतो संसारसुहं व सद्धेयं // 1383 // इयमित्तरा णिवित्ती सा पुण आवकहिया मुणेयव्वा / . भावा पुणो वि णेयं एगंतेणं तई णियमा // 1384 // इय अणुभवजुत्तिहेतूसंगतं हंदि णिट्ठितट्ठाणं / अत्थि सुहं सद्धेयं तह जिणचंदागमातो य // 1385 // ण य सव्वण्णू वि इमं उवमाभावा चएति परिकहितुं / ण य तिहुयणे वि सरिसं सिद्धसुहस्सावरं अस्थि // 1386 // एत्तो च्चिय अण्णेहिं कण्णाणायं इमम्मि अहिगारे / भणियं घडमाणं पि हु विण्णेयं तं पि लेसेण // 1387 // कण्णाण दढं पीती अणभिण्णाण पुरुसभोगसोक्खस्स / संगारो पढममिणं जायमिह मिहो कहेतव्वं // 1388 // परिणीता तत्थेक्का वुत्था य कमेण भत्तुणा सद्धिं / पुट्ठा इतरीऍ ततो भणेति णो तीरए कहिउं // 1389 // रुट्ठा इतरी ऊढा य कमेणं जाणिऊण तो तीए। . गंतूण सयं तुट्ठा जंपति णणु तं तह च्वेव // 1390 // एवं सिद्धसुहस्स वि पगरिसभावं ततो च्चिय मुणेइ / अणुभवतो सम्मं ण तु अण्णो वि अपत्ततब्भावो // 1391 // 110