________________ अह तु विवक्खाएँ विणा ण जंपई कोइ सा य इच्छ त्ति / रागो य तई तम्हा वयणं रागादिपुव्वं तु // 1284 // सुविणादिसु तीएँ विणा जंपति कोई तहा विचित्तो य / अन्नम्मि जंपियव्वे दीसइ अन्नं च जंपंतो // 1285 // तत्थ वि य अस्थि सुहुमा अवंतराले य कज्जगम्म ति / दिट्ठपरिच्चाएणं अदिट्ठपरिकप्पणा एसा // 1286 // ण य परिसुद्धा एसा रागो वि वदंति समयसारण्णू / विहिताणुट्ठाणपरस्स जह तु सज्झायझाणेसु // 1287 // मणपुब्विगा विवक्खा ण य केवलिणो मपस्सऽभावातो / अवि णाणपुब्विग च्चिय चेट्ठा सा होइ णायव्वा // 1288 // एत्तो च्चिय सा सततं ण पवत्तति तह य संगतत्था वि / पत्तम्मि अवंझफला परिमियरूवा य सा होति // 1289 // रागादिजोग्गताजण्णमह तु वयणं ण संगतमिदं पि / तज्जोग्गता ण अण्णं जणेति पुव्वावरविरोहो // 1290 // जंपति य वीयरागो य भवोवग्गाहिकम्मुणो उदया / तेणेव पगारेणं वेदिज्जति जं तयं कम्मं // 1291 // संदिद्धा य विवक्खा वावित्तीमस्स हेतुणो जम्हा / तम्हा संसयहेतू एसो खलु होइ णायव्वो // 1292 / / सिय तस्सेवाभावा ततो णिवित्ती ण णिच्छितो सो वि / तप्पडिसेहगमाणाभावा जं सो ण सिद्धो त्ति // 1293 // . पच्चक्खणिवित्तीए तस्साभावो ण गम्मती चेव / . जं सोवलद्धिलक्खणपत्तो नो होइ तुम्हाणं // 1294 // ण य सव्वविसयसिद्धं पच्चक्खं तस्स अब्भुवगमै य / सिद्धो च्चिय सव्वण्णू पडिसेहो कह णु एतस्स ? // 1295 // 108