________________ उड्डुिति केइ थोवं केइ बहुं बहुतरं तहा अन्ने / भुंजन्ति य ण य एसि पगरिसमो सव्वविसतो तु // 1212 // णाणस्स वि एवं चिय तरतमजोगे वि दिट्ठविसओ तु / जुज्जइ पगरिसभावो वेधम्मातो इदमजुत्तं . // 1213 // सव्वं सामण्णविसेसरूवमिह वत्थु माणसिद्धं तु / . सामनेण य सव्वं पायं जाणंति समयण्णू // 1214 // किंची विसेसओ वि हु सयलविसेसाणमवगमे तस्स। सामत्थमणुमिणिज्जति पच्चक्खेणं परोक्खं पि // 1215 // णाणसहाओ जीवो आवरणे असति सति यं णेयम्मि। कह णु ण णाही सव्वं पगरिससामत्थजुत्तो य? // 1216 // आवरणाभावो वि हु पुव्वत्तविहीएँ ण पडिबंधा य / देसाइविप्पगरिसा सामण्णेणोवलंभाओ // 1217 // ण य सामण्णेण वि गमणभोयणं सव्वविसयमिह दिटुं / ता कह णु विसेसेणं होही तं सव्वविसयं तु ? - // 1218 // परिमियसामत्थो च्चिय देहो गमणादियासु किरियासु / ता जुत्तं चिय तासिं ण पगरिसो सव्वविसओ त्ति // 1219 // ण य एगजत्तसिद्धं (गमणं) चिय होइ बीयजत्तम्मि / णाणे व हंदि गमणे तम्हा अणुदाहरणमेयं // 1220 // जीवस्स वि सव्वेसुं हंत विसेसेसु अस्थि सामत्थं / अहिगमणम्मि पमाणं किमेत्थ ? णणु णेयभावो तु // 1221 // जलहिजलपलपमाणादिविसेसा सव्व एव पच्चक्खा। . कस्सइ णेयत्तातो घडादिरूवादिधम्म व्व // 1222 // णेयत्तमप्पओजगमिह जोगत्ताए चिट्ठती जेणं / जह छेदणकिरियाए रुक्खा णो विधुरभावातो // 1223 // . 102