________________ साणादिरक्खणट्ठा विधीएँ इह डंडगं धरेतस्स / कह हत्थियारसावेक्खयाइया होंति दोसा उ ? // 1104 // ण य कज्जमंतरेण वि कहंचि पीडा इमस्स इट्ठ त्ति / आयपरोभयविसया जं वहकिरिया सुते भणिया // 1105 // भावियजिणवयणाणं ममत्तरहियाण नत्थि हु विसेसो / अप्पाणम्मि परम्मि.य तो वज्जे पीडमुभयो वि // 1106 // रयहरणादिसमेतं दट्ठणं किं न होइ संवेगो ? / अप्पाणं पव्वइओ तब्भणियगुणागमातो य // 1107 // निग्गंथया. य भणिया ममत्तचाएण पुव्वमेव इहं / किमिणा विचिन्तिएणं ? तुह एयं मनसे अह उ // 1108 // जारिसयं गुरुलिंगं सीसेण वि तारिसेण होयव्वं / नहु होइ बुद्धसीसो सेयवडो नग्गखवणो वा // 1109 // निग्गंथो य जिणो जं एगंतेणेव लोगसिद्धमिणं / तम्हा तस्सीसा वि हु निग्गंथा चेव जुज्जति // 1110 // जारिसयं गुरुलिंगं इच्वादसमिक्खिताभिहाणं तु / न हि तारिसेण होउं तीरइ सइ दुविहलिंगे वि // 1111 // अह तल्लिंगसमं चिय लिंगं तेणा वि होइ कायव्वं / सियवाए सिद्धं चिय एगतेणं तु तदजुत्तं // 1112 // तित्थगरलिंगमणघं तेसिं चेव अविगृलं परं होइ / पाययगुणजुत्ताण य अहवा ण उ सेसजीवाणं // 1113 // रहिया य सेसजीवा तित्थगरगुणेहिं परमपुन्नेहिं / / नियमेण सिद्धमेयं दोण्ह वि अम्हाण समएसुं // 1114 // छउमत्थस्स वि गुरुणो नाणा संघयणमो धिती चेव / निम्ममया य परीसहविजओ दढमप्पमाओ य // 1115 // 3