________________ सिय अच्चित्तो उ तओ किमेत्थ माणं ? जिणागमो चेव / काया मिहो उ सत्थं वन्नादीपरिणयमचित्तं // 1092 / / तदभावम्मि य निद्धऽन्नभंडए महुरगे सुहे खेत्ते / / उज्झइ न य तदभावे भंडगचाए वि अहिगरणं // 1093 // संजमपालणहेतुत्तणेण तह चेव भावसुद्धीओ। निरविक्खत्तणओ च्चिय देहच्चाए व विनेयं // 1064 // तेणं विणा वि दोसा न होति संघाडभावतो चेव / एगागिणो वि जे ते आहारालाभतुल्ला उ // 1095 // सेसा अणब्भुवगमा विहिउत्तरमा य होंति पडिंसिद्धा / इय दोसाभावातो जुत्ता इह अप्पबहुचिन्ता // 1096 // सिय तह वि परिट्ठवणा ते खलु कालंतरा विवज्जन्ति। सुद्धो जयणागारी तेसिं. (सुं) साहू जहानेसु // 1097 // अग्गहिये गुणो गहिते वि अवि य गुरुस्सेह बालवुड्डाणं / वेयावच्चावायणमभावतो तस्स तं दुटुं // 1098 // ता इय पत्तग्गहणं जुज्जइ जिणवयणमुणियसारस्सं / / दावभयरक्खणटुं जलोघगहणं व कंतारे // 1099 // निस्संगता वि हिंसारक्खणहेउ ति तस्स य अभावे / पुत्तट्ठिसंढवरचेट्ठियं व सा निष्फला चेव // 1100 // अनिवारियगहणं पुण परिभोगे चेव वारियं समए / पत्तम्मि य सइ करणे करेहि तुल्लं इमं होइ // 1101 // रयहरणम्मि वि पडिलेहिऊण विहिणा पमज्जमाणस्स। . कीडघरवुज्झणादी (ण) होंति दोसा गुणो होइ // 1102 // आयाणे गहण (मोक्ख) म्मि य कस्सइ रयणी' काइगादिम्मि / तेणं पमज्जिऊणं पवत्तमाणस्स वहविरती // 1103 //