________________ भिक्खाडणे वि अहिगो आउक्कायादिघातदोसो तु / फासुगमवि य तसेहिं णेगंतेणं असंसत्तं // 1080 // उसिणोदगं अह भवे ण होइ पतिगेहमेव तं लोए / पडिलेहणाऽह सेसे तदन्नसंसत्तगे किह णु ? // 1081 // पाणुज्झणे हि हिंसा णेच्छइ य गिही तयं तहिं छोढुं / ण य तीरइ जत्थुचियं नेऊण करेहि कह एत्थ ? // 1082 // सिय पत्तम्मि वि गहिए संसत्ते नियमतो इमे दोसा / उचिए वि पुढविखणणादिगा उ णणु बहुतरा होति // 1083 // पुदीखणणे काया अखए य तं सुसइ मुक्कमेत्तं तु / जलउल्ले काय च्चिय भंडगचाए (वि) अहिगरणं // 1084 // तेणं विणा वि दोसो पत्थेमाणस्स अद्धखेदादि / बहुगहणं उस्सुत्तं निप्फलपलिमंथदोसो य // 1085 // घेत्तूण चाउलोदं संसत्तं तं जलम्मि छुहमाणो / / घाएति बहुतरं तं तेणं परकायसत्थेणं // 1086 // ता नियमदोसभावे जुज्जति णणु एत्थ अप्पबहुचिन्ता / ण य एतम्मि वि गहिते अप्पतरा होंति दोसा उ // 1087 // अवियग्गहिए पइगेहमेव उवयोगमेत्तगहणातो / निस्संगभावणाओ मुणेह अप्पयरभावं तु // 1088 // तम्हा न पत्तगहणं जुज्जति जिगवयणमुणियसारस्स / दावभयरक्खणट्ठा तणघयगहणं व कंतारे // 1089 // न खणेइ तओ पुढविं न मुयइ जहिं सुसइ मुक्कमेत्तं तु / : जलउल्लं च परोप्परसंजोगाओ अचित्तं तु // 1090 // .. तत्थ वि य महीसिचलणादिघट्ठदेसम्मि उज्झओ विहिणा / - तदभावे काऊण वि अच्चित्ते हंत को दोसो ? // 1091 // ___.. 1