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________________ करते रहे हैं, यह क्या किसी से अज्ञात है ? अनेक गांवों और नगरों में साधारण और केशर चंदन हेतु 2, १,या आधे रूपये का टेक्स होता है, परन्तु उसे भी देना लोगों को भारस्वरूप महसूस होता है अर्थात् इस प्रकार का सामान्य कर भी प्रत्येक के पास से. लेना दुःसाध्य कार्य होता है तब फिर इस प्रकार अन्य अन्य टेक्सों से क्या - लाभ ? ___ अतएव इसके लिये सर्वोत्तम और सरल उपाय यही है कि जितनी बोलियाँ बोली जाती है उन सबकी आमदनी को (पैसे को) साधारण खाते में ले जाने का संघ को निर्णय कर लेना चाहिये। जिससे किसी के ऊपर किसी प्रकार का भार भी न पड़े और संघ का कार्य भी अनायास में ही सिद्ध हो जाएँ। ऐसा करने में किसी प्रकार की शास्त्रीय रूकावट भी नहीं है। मुझे लगता है कि यदि इस प्रकार की योजना को कार्यान्वित कर दिया जाय तो जैन-समाज जिन रोगों से पीडित है, उन सभी रोगों से अल्प समय में ही मुक्त हो सकता है। परिणामतः जैन समाज सम्पूर्ण विश्व में भगवान महावीर के अकाट्य सिद्धान्तों का प्रचार कर सकता है। . महानुभावों ! इस सुअवसर की प्राप्ति हेतु उत्साहित होइए। ईर्ष्या और वैर भाव को छोड़कर तटस्थ
SR No.004448
Book TitleDevdravya Sambandhi Mere Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsuri
PublisherMumukshu
Publication Year
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size6 MB
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