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________________ ( 86 ) है ? परिवर्तन या अन्य कुछ ? थोड़ी गहराई से देखिएसाधुओं और श्रावकों के अतिचार प्राचीनकाल में क्या गुजराती में बोले जाते थे? नहीं,किन्तु अब गुजराती में बोले जाते हैं। यह परिवर्तन है या कुछ और ? धीरे - धीरे आवश्यकता महसूस होने पर, लोगों के दिमाग में विचार आने पर वे ही अतिचार हिन्दी भाषा में भी परिवर्तन पा गये। अधिक क्या कहा जाय ? प्रतिक्रमण जैसी आवश्यक क्रिया में भी इतना अधिक परिवर्तन हम साक्षात् देख रहे हैं और इतिहास भी इसके लिए साक्षीभूत है। तो फिर दूसरी क्रियाओं के लिये तो कहना ही क्या ? अब कौन कह सकता है कि बाह्यक्रियाओं में परिवर्तन हो ही नहीं सकता ? शास्त्रीय क्रियाओं में परिवर्तन हो ही नहीं सकता ? जब शास्त्रीय क्रियाओं की ऐसी स्थिति है तब बोली जैसा रिवाज, जो कि शास्त्रीय विधान भो नहीं है बल्कि संघ द्वारा कल्पित विचार (रिवाज) है, उसमें संघ समयानुसार परिवर्तन कर क्यों नहीं सकता ? ऐसा करने का अधिकारी यदि संघ हो तो उसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। _____ महानुभावों ? देखिए तो सही। भाद्रपद सुदि पंचमी की संवत्सरी को श्री कालिकाचार्य महाराज ने चतुर्थी को प्रारंभ किया। यह क्या साधारण परिवर्तन है ? सांवत्सरिक प्रतिक्रमण जो सम्पूर्णवर्ष के धार्मिककृत्यों में
SR No.004448
Book TitleDevdravya Sambandhi Mere Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsuri
PublisherMumukshu
Publication Year
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size6 MB
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