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________________ ( 82 ) लगती है। राम का नाम उत्तम है किन्तु विवाह-प्रसंग पर पाँच पच्चीस मनुष्य यदि 'राम बोलो भाई राम' 'राम बोलो भाई राम' बोलते हुए लग्नवाले के यहाँ पहुंच जाएँ तो उनकी बुद्धि की कीमत लोग कैसी करेंगे ? अतएव समझना चाहिए कि प्रत्येक कार्य में-फिर वह चाहे व्यावहारिक कार्य हो या धार्मिक, द्रव्य-क्षेत्र-कालभाव के ऊपर अवश्य ध्यान देना चाहिए और इस प्रकार ध्यानपूर्वक जो कार्य करते हैं वे ही संसार में प्रशंसा के पात्र बनते हैं। इतना ही नहीं अपितु स्वोन्नति भी कर सकते हैं। अमुक समय पर अमुक क्रिया हुई थी, अतः हमें भी उस क्रिया को वैसे ही करना चाहिये, ऐसा सोचना सर्वथा अज्ञानता है। सारांश-सम्पूर्ण लेख का सारांश यही है कि देवद्रव्य की आवश्यकता अवश्य है। मन्दिरों और मूर्तियों की रक्षार्थ देवद्रव्य की वृद्धि करनी भी चाहिये, किन्तु देवद्रव्य की वृद्धि शास्त्रानुसार विधिपूर्वक ही करनी चाहिए। अविधि से की गई वृद्धि समूल देवद्रव्य का नाश करती है। इतना ही नहीं परन्तु आत्मप्रबोध, संबोधसप्तति, संबोधप्रकरण और धर्मसंग्रह वगैरह ग्रंथों के कथनानुसार जिनाज्ञाविरुद्ध अविधिपूर्वक
SR No.004448
Book TitleDevdravya Sambandhi Mere Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsuri
PublisherMumukshu
Publication Year
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size6 MB
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