________________ ( 48. ) प्रकार शास्त्रीय उल्लेखों (पाठों) के साथ 'देवद्रव्य की वृद्धि किस प्रकार से करना ? इस महत्वपूर्ण विषय का वांचन करने को उत्सुक रहने का अनुरोध कर विराम लेता हूँ। पत्रिका नं. 3. देवद्रव्य की वृद्धि किस प्रकार से करना? देवद्रव्य, गुरुद्रव्य, ज्ञानद्रव्य और साधारणद्रव्य वगैरह धार्मिक द्रव्यों के अनेक भेद दिखाई देते हैं इन भेदों का मुख्य आधार द्रव्यदाता व्यक्ति का संकल्प ही है। जिस द्रव्य को, व्यक्ति जैसी-जैसी संकल्प बुद्धि से अर्पण करता है, वह द्रव्य उस उस खाते का गिना ( माना ) जाता है / देव को समर्पण बुद्धि से अर्पण किया हुआ द्रव्य या वस्तु ही देवद्रव्य माना या मानी जाती है इसी प्रकार गुरुद्र व्य, ज्ञानद्रव्य और साधारण द्रव्यादि के लिए भी समझना चहिए। शास्त्रकार भी देवद्रव्यादि की उपयुक्तानुसार ही व्याख्या करते हैं। देखिए-द्रव्य सप्तति की दूसरी गाथा में कहा है - __ "ओहारणबुद्धिए देवाईणं पकप्पिरं च जया। जं धण-धन्नप्पमुहं तं तद्दव्वं इहं णेयं // 1 // " अर्थात् - निश्चयात्मक बुद्धि से देवादिक के लिए