________________ / 3. ) सुना जाता है नासिक के सेठ दीपचंद निहालचंद के मन्दिर में बोली के सम्पूर्ण द्रव्य को साधारण खाते में ले जाया जाता है। इस प्रकार अनेक स्थानों पर प्रचलित-परम्परा में परिवर्तन हुए हैं। तब क्या इस प्रकार के परिवर्तन करने वाले श्रीसंघ और इस प्रकार के उपदेशक मुनि भगवन्त भवभ्रमण ही करते रहेंगे? यदि प्रचलित रीति-रिवाजों में परिवर्तन नहीं ही हो सकता हो तो उपयुक्त रिवाजों में परिवर्तन क्यों ? बम्बई के मुख्य प्रतिष्ठित गृहस्थों से यह ज्ञात हुआ कि जो महात्मा श्री प्रचलित परम्परा परिवर्तन में भव-भ्रमण का भय बताते हैं वे ही महात्मा श्री स्वयं जब बम्बई में थे, तब उन्होंने स्वयं बोली के रिवाज में चौक्कस परिवर्तन कर अमुक रकम साधारण खाते में ले जाने का उपदेश दिया था। उस समय एक गृहस्थ द्वारा कहा भी गया था कि, "साहब ! इस प्रकार का परिवर्तन करने में किसी प्रकार का दोष तो नहीं लगेगा ?" तब उन्होंने कहा था कि "मैं कह रहा हूं न, आपको इस संबंध में विचार विल्कुल ही नहीं करना चाहिए।" ___ स्वयं वे जिस विषय का प्रतिपादन करते थे उसी विषय का दूसरे मुनि भी प्रतिपादन करते थे। अरे !