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________________ ( 31 ) बताईएगा कि देवद्रव्य की वद्धि के इस नियम में परिवर्तन हुआ अथवा नहीं ? उसी पाटण का दूसरा दृष्टान्त-तपागच्छ के उपाश्रय में स्वप्नों की बोली के द्रव्य का भाग कर कुछ द्रव्य देवद्रव्य में ले जाते परन्तु बाद में श्री संघ ने स्वप्नों की बोलीके सम्पूर्ण द्रव्य का उपाश्रय के मरम्मत कार्य में व्यय करने का निर्णय किया और वास्तव में उस आय से उपाश्रय बनवाया भी। कहिएगा, श्री संघ ने पहले से ही निर्णय करके उस रकम का निर्णयानुसार व्यय किया तो कौन उसे दोषित कह सकता है ? . और भी देखिए-उसी पाटण में पहले ऐसी परंपरा थी कि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उसकी आय में से कुछ रकम प्रत्येक मन्दिर में भेटस्वरूप भेज दी जाती थी, परन्तु बाद में श्री संघ ने निर्णय कर साधारण खाते में ले जाना प्रारंभ कर दिया। वेरावल में एक मुनिश्री के उपदेश से बोली के भाव में चौक्कस परिवर्तन कर अमुक ( कुछ ) द्रव्य साधारण खाते में ले जाने का निर्णय किया गया। - बम्बई कोट के मन्दिर में घी का भाव चार रुपये है जिसमें से कुछ भाग साधारण खाते में ले जाया जाता है।
SR No.004448
Book TitleDevdravya Sambandhi Mere Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsuri
PublisherMumukshu
Publication Year
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size6 MB
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