________________ चलेगा / उदासीन वृत्ति में रहने वाले और वास्तविक शक्ति का गोपन करने वाले धर्मगुरु वास्तव में प्रायश्चित के भागी बनते हैं। इस बात को नहीं भूलना चाहिए। समाज के कल्याणार्थ किसी तरह के सत्य विचारों को प्रकाशित करने में भक्तों की दाक्षिण्यता रखनी उचित नहीं है। अन्त में प्रत्येक ग्राम के संघों को विशेष रूप से सूचित कर विरमता हूं कि समयज्ञ बनकर बोलियों में बोले जाने वाले द्रव्य को साधारण खाते में ले जाने का निर्णय कर लेना चाहिए और जो देवद्रव्य हो उसका जीर्णोद्धार के कार्यों में व्यय कर देना चाहिए। ता०क० "एक बात बताना आवश्यक समझता हूं कि उपरोक्त कथनानुसार साधारण खाते की तरफ मेरा ध्यान अभी ही गया हो ऐसी बात नहीं है, परन्तु वो से है। काशी की ओर से विहार करके गुजरातकाठियावाड में आने के पश्चात् मेरे मन में इन विचारोंकी स्फुरणा हुई थी और इसी कारण उ परियाला तीर्थ में संवत् 1972 में मैं गया, तब वहाँ के मेले में उपस्थित( एकत्रित) लोगों को मैंने साधारण खाते को पुष्ट करने का उपदेश दिया था, परिणामतः उस समय उस तीर्थ में लगभग 2500 रुपये साधारण खाते में