________________ 1457 १६वीं (23) कल्पान्तर्वाच्य कुलमण्डलसूरि (24) कल्पान्तर्वाच्य गुणरत्नसूरि (25) कल्पान्तर्वाच्य सोमसुन्दरसूरि (26) कल्पान्तर्वाच्य रत्नशेखरसूरि (27) कल्पान्तर्वाच्य जयसुन्दरसूरि (28) कल्पान्तर्वाच्य भक्तिलाभोपाध्याय (29) कल्पान्तर्वाच्य जिनहंससूरि १६वीं (30) कल्पान्तर्वाच्य जिनसमुद्रसूरि १८वीं इन व्याख्याओं में से जिनराजसूरि कृत भगवती सूत्र टीका, कस्तूरचन्द्रगणिकृत ज्ञाताधर्मकथा सूत्र टीका, जीवविजय की प्रज्ञापना टीका, पुण्यसागरोपाध्याय की जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सूत्र टीका, मतिकीर्ति की दशाश्रुतस्कन्ध टीका, वादी हर्षनन्दन की उत्तराध्ययन सूत्र टीका, माणिक्यशेखरसूरि की ओघनियुक्तिपिण्डनियुक्ति टीकायें, वीरगणि की पिण्डनियुक्ति टीका, पादलिप्ताचार्य की ज्योतिष्करण्डक टीका आदि तो वैशिष्ट्य एवं महत्वपूर्ण होने से प्रकाशन योग्य हैं। इनका प्रकाशन तो अवश्यमेव एवं शीघ्रातिशीघ्र होना चाहिए। निबन्ध का शीर्षक 'जैनागमों की अप्रकाशित संस्कृत व्याख्यायें' होने से अप्रकाशित भाषा टीकाओं - बालावबोध, स्तबक आदि का इस सूची में समावेश नहीं किया है। उपर्युक्तं तालिका में 'जिनरत्नकोष' जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, खरतरगच्छ साहित्य सूची आदि का उपयोग किया है, अतः इन पुस्तकों के लेखकों का मैं आभारी हूँ। [ज्ञानयोगी मुनिश्री कन्हैयालालजी 'कमलः सम्मान सौरभ'] 000 लेख संग्रह