________________ गंड यमंडिय तं कणयसच्छ हो असिइ धणुमाणो // 2 // इगवीसवासलक्खे कु मरो दुगुणाई ताई कयर जो / छठे णं फग्गुण-तेर सीइ-कसिणाइ सह संबे // 3 // नर-सह सजुओ नीह रिय पर दिणे नंद पायसं पत्तो। वासहि दो हि मासे अमावसाए वणे तत्थ // 4 // जायं नाणं गणहर छहत्तरी साहु सहस चुलसी य। अजा तिसहस्साहि य लक्खं तुह ईसरो भत्ती॥ 5 // तह माणसी त्रिविट्ठहरीय इगवीस-वास-लक्खाई। तुह वयमाउं चउ गुण-मणंतरं सीयलजिणाओ // 6 // छ व्वीस सहस्साहिय छावट्ठी-वास लक्ख-सहि एण। सागर सएण ऊणाइ अयर कोडीओ गमियायो // 7 // सम्मे ए कसिणाए सावण तइयाए समण सह सजुओ। तंसि गओ' लोयग्गं हत्थालंबं ममं देसु // 8 // .. *** सिरि वासुपुजणाह-थुत्तं / सिरिवासुपुज्ज! उज्जोइउं जयं जिट्ठ-सुद्ध-नवमीए। तं पाणयकप्पाओ चविउं चंपाइ संपत्तो॥ 1 // जाओ वसुपुज-जयाण फग्गुणे कसिण-चउ दसीइ तुमं / महि संक-रत्तवन्नो सत्तरि धणुमाण गयमांण // 2 // अट्ठारसयसहस्सा वासा कमरोसि तं चउत्थेणं। फग्गुण-अमावसाए विहारगेहम्मि नीहरि ओ॥ 3 // छहिं निवसएहि सहि ओ बीयदिणे पायसं सुनंदाओ। पत्तोसि वासमे गं छ उ मत्थो विह रिओ नाह ! // 4 // माहे सिय-बीयाए विहार गेह म्मि पत्तनाणेणं / छ वट्ठी लो यहि या विहि या गणहारिणा तुमए // 5 // बावत्तरी सहस्सा मुणीणा अज्जाउ लक्खमे गं तु / तुह भत्ता य कु मारो पयंउ-देवी दुविठ्ठ हरी // 6 // चउ पन्न-वास-लक्खो वयम्मि बावत्तरी तुह उम्मि। चउ पन्ना सागरे हिं गएहिं से यंस-नाहाओ॥ 7 // छहिं साहु सएहिं समं आसाढ - चउद्दसीइ सुद्धाए / चंपाइ तंसि संपत्त सिवसुहो सिवसुहं देसु // 8 // सिरि विमलणाह-थुत्तं विमलजिणिंद! सुरिं देहिं तंसि महि ओ महीइ इंतो वि। वइसाह -सुद्ध-बारि सि विमुक्कसह सार गुणसार // 1 // .. 202 लेख संग्रह