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________________ पुव्वाण लक्खमेगं चउरं गूणं तवेण खविऊणं / अजियजिणाओ सागर-कोडी-लक्खाण-तीसाए // 7 // चित्तसियपंचमीए तं निट्ठिय सट्ठि - लक्ख-पुव्वाउं / संजयसह स-समे यं-सम्मेए निव्वु यं वंदे // 8 // *** 'सिरि अभिणंदणणाह-थुत्तं सरिमो सिरि अभिनंदणजिणिंद! वइसाह सियचउत्थीए। जय नाह ! जयं ताउ तुज्झ अवज्झाइ अवयरणं // 1 // संवर-सिद्धत्थाणं कणयपहो माह -सुद्ध बीयाए। अद्ध-चउत्थ-धणुस्सयतणु वानर चिंध जाओ सि // 2 // अद्धत्ते रसकु मरोसि पुव्व-लक्खाइं सड्ड छत्तीसं / अटुं गाणिय राया माहे सिय-बार सीइ तुमं // 3 // छ8 ण गहि यदिक्खो सह संबवणे नरिंदसह सेणं। पत्तो पायसमसणं बीयदिणे . इंददत्ताओ // 4 // .. अट्ठारस-वरिसे हिं सिय-पोस-चउद्दसीइ तम्मि वणे / जायं नाणं तह सोलसोत्तरं गणहराण सयं // 5 // मुणि लक्ख-तिगं अजाण तीससह साहि यं तु छ लक्खं / जक्खे सर-कालीओ तुह भत्ता मित्तविरिओ. यं॥ 6 // गय-पुव्व-लक्खं अटुं गूणं ठिओसि सामन्नो। , संभवनाहाउ गएसु अयर-दसको डि-लक्खे सु // 7 // . . पन्नास-पुव्व लक्खे जीविय सिय अट्ठ मीइ वइसाहे / मुणि-सह सजुयं सिद्धं तुमं नमसामि सम्मे ए // 8 // *** सिरि सुमइणाह-थुत्तं पणमामि सुमइसामिय! कामिय वसुहोवयार भवयारं / सावण-सिय-बीयाए जयंतओ तुह अवज्झाए // 1 // तं मेह - मंगलाणं वइसाह -सिय? मीइ जाओसि / अइजच्च-कं चणनिभो तिसय-धणुव्वोस कुं चो य॥ 2 // कु मरोसि पुव्वलक्खे दस नरनाहो य बार संगजुयं / इगुणत्तीसं वइसाह -सुद्ध-नवमीइ सह संबे // 3 // कयनिच्च भत्त नर-सह ससंगओ निग्गओ सि बीय दिणे / पउ माउ पत्तपायस वासा वीसं ठिओ छ उ मे // 4 // तम्मि वणे वर नाणं चित्त-सिय-इक्कारसीइ पत्तो सि / गणहर सयं मुणीणं लक्ख-तिगं वीससह सजुयं // 5 // 198 लेख संग्रह
SR No.004446
Book TitleLekh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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