________________ तहा अम्हाओ पुजभत्ती हीणपुन्नत्तणओ किमवि न संपज्जइ तस्सावराहो खमियब्वो। तहा तत्थ वायगसिरि 5 सागरचंदगणिमादीणं सव्वसाहूणं वंदणा कहेयव्वा। इत्थ जोग्गं भत्तिकिच्चं लिहेयव्वं / पयमत्तक्खरहीणाहियस्सावराहो सोहेयव्वे / वरिसे अट्ठारसयसत्तणउयाहिए कत्तियधवलसत्तमीए रविवारदिणे एसो विण्णत्तिलेहो जयसेहरेण मुणिणालिहिओ। तथा श्रीसंघनी वीनती आं है - अठै श्रीसंघनै कीरपा कर वंदावसी। अप्रंच अठारा खेत्र जोग्य जांणने श्रीजी माहाराज पं। श्री नेमचंदजी मनरूपजी नगराजजी जसराजजी नै मेलाया सो श्री जयनधरमनो बोहत उदोत हुवो। श्रीसंघ सरावक सरावीका ने वखांण वांणी सुणने धरमध्यांननो लाभ विशेष हुंवो, सु आवता चोमासारो आदेश ईणांने ही लीखावसी। आगे तो सारी मरजादा उपासरारो हक सारो उठ गया थो सो . ईणांने मेलणासुं सारी वातरी मरजादरी वधोतर हुई। पंडित है, गुणी है, पालिखेत्र लायक है, जीणसु पालीखेत्र में तो वरस दोय तीन अठे ईणांनै ही रखायां खेत्र सुधरसी ने घणा जीव धरम पांमसी, वडो लाभ उपजसी। / लीखतु नाबरीया भगवानदास संतोकचंद री वंदणा वर 108 अवधारसी धणा मानसुं .. / ल / / परताबचंद ......... .... रा वंदणा बंचावसी 108 / ला सा. अमीचंद साकरचंद नी वंदणा वार 108 अवधारसी धणा बहुमानथी द० लखमीचंद / लखतु गोलेछा भेरोंदास रखबचंद रा वंदणा 108 वंचीजो धरम सनेह रखावसी . / लीखतु कटारीया सेरमल उमेदमलरी वंदणा 108 वार अवधारसी / लीखतु कटारीया जेठमल फतहमलरी वंदणा 108 वार वंचावसी धरम सनेह रखावसी / लीखतु संघवी भीवराज नवलमल अर संघवी समस्तकी वंदणा 108 अवधारसीजी धणा मानसु द० नवलमल रा छः / लीखतु .. / लीखतु लालचन्द हरकचन्द हलावार की वंदणा 108 वार अवधारसी / लीखतु संतोकचन्द ................ नथमल गुलेछा री वंदणा 108 वार अवधारसी / लीखतु भंणसाली रूपचन्द रखबदास री वंदणा 108 वार अवधारसी / लीखतु पारसचन्द सूरचन्द सुकलचन्द री ............. वंदणा 108 वार अवधारसी' / लीखतु ....... ...... लालचन्द मोतीचन्दरी वंदणा 108 वार अवधारसी / लीखतु ..................वंदणा 108 वार अवधारसी .................. / लीखतु पुगलिया धनसुख री वंदणा 108 वार अवधारसी करपा करने पधारसी और ..... / लीखतु गोलेछा अगरचन्द आलमचन्द री .....................वंदणा 108 वार करने अवधारसी / लीखतु सुभकरण सेन्सकरण लूणियारी वंदणा मालम 108 वार होसी दस्तखत निहालचन्दरा छः / लीखतु नथमल चपरोर वंदणा .................................. 108 वार अवधारसी / लीखतु नगारामरा वंदणा वंचावसी वार 108 वार वंचावसी धरम सनेह रखा जण वैसे ही रखावसी / लीखतु ...... साल लखमीचन्द अर समसतरी वंदणा 108 वार वंचावसी / लीखतु पारख उमेदमल री वंदणा 108 वार वंचावसी / ली खजांची माणकचन्द अगरचन्द री वंदणा 108 वार वंचावसी 186 लेख संग्रह