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________________ जैन विद्यालय से मूल, केसरबाई ज्ञानमन्दिर, उपदेशों का सङ्कलन है / जिस अध्याय में जिस पाटण से संस्कृत, पेरिस से अंग्रेजी, कलापूर्णसूरि ऋषि का उपदेश है वह अध्याय उन्हीं के नाम से से गुजराती एवं आगम संस्थान, उदयपुर से हिन्दी है / ये पैंतालीस अध्याय या ऋषि निम्न हैंअनुवाद के साथ / १-देवर्षि नारद, २-वज्जीयपुत्त (वात्सीय पुत्र), २६-गणिविद्या-इसमें 86 गाथाएँ हैं / इसके ३-असितदेवल, ४-अंगिरस भारद्वाज, रचनाकार अज्ञात हैं / इस प्रकीर्णक का परिचय ५-पुष्पशाल पुत्र, ६-वल्कलचीरी, ७-कुम्भापुत्र, नन्दीसूत्रचूर्णि में इस प्रकार है- गण अर्थात् बाल ८-केतलीपुत्र, ९-महाकश्यप, १०-तेतलीपुत्र, और वृद्ध मुनियों का गच्छ; वह गण जिसके ११-मंखलिपुत्र, १२-याज्ञवल्क्य, १३-मेतेज्ज नियन्त्रण में है वह गणी; विद्या का अर्थ है ज्ञान / भयालि, १४-बाहुक, १५-मधुरायन, १६-शोर्यायण, ज्योतिष-निमित्त विषय के ज्ञान से दीक्षा, १७-विदुर, १८-वारिषेणकृष्ण, १९-आरियायन, सामायिक व्रतोपस्थापना, श्रुत सम्बन्धित उद्देश्य २०-उत्कट, २१-गाथापतिपुत्र तरुण, २२-गर्दभालि, समुदेश की अनुज्ञा, गण का आरोपण, दिशा की २३-रामपुत्र, २४-हरिगिरि, २५-अम्बड अनुज्ञा तथा क्षेत्र से निर्गमन और प्रवेश आदि कार्य परिव्राजक, २६-मातङ्ग, २७-वास्तव, जिस तिथि, करण, नक्षत्र, मुहूर्त और योग में करने २८-आर्द्रक, २९-वर्द्धमान, . ३०-वायु, के लिये निर्देश जिस अध्ययन में है, वह गणिविद्या ३१-अर्हत्पार्श्व, ३२-पिंग, ३३-महाशालपुत्र अरुण, ३४-ऋषिगिरि, ३५-उद्दालक, ३६-नारायण, . प्रस्तुत ग्रन्थ में दिवस, तिथि, नक्षत्र, करण, ३७-श्रीगिरि, ३८-सारिपुत्र, ३९-संजय ऋषि, ग्रह, मुहूर्त, शकुनबल, लग्नबल और निमित्तबल- ४०-द्वैपायन ऋषि, ४१-इन्द्रनाग, ४२-सोम, इन नौ विषयों का विस्तारपूर्वक निरूपण किया 43- यम, ४४-वरुण और ४५-वैश्रमण / / गया है / यह प्रकीर्णक मूलरूप में बाबू धनपत प्रस्तुत प्रकीर्णक प्राचीनतम है / इसका नाम सिंह-मुर्शिदाबाद, बालाभाई ककलभाई- निर्देश समवायाङ्ग में भी प्राप्त होता है / अब अहमदाबाद, आगमोदय समिति, हर्ष पुष्पामृत जैन तक इसके प्रकाशित संस्करण हैं-महावीर जैन ग्रन्थमाला तथा महावीर जैन विद्यालय से मूल, विद्यालय एवं ऋषभदेव केसरीमल, रतलाम से हेम्बर्ग से संस्कृत और आगम संस्थान उदयपुर से मूल तथा लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति हिन्दी अनुवाद के साथ प्रकाशित है। विद्यामन्दिर, अहमदाबाद से संस्कृत, अंग्रेजी तथा . २७-ऋषिभाषित-प्रस्तुत प्रकीर्णक 45 सुधर्मज्ञान मन्दिर, बम्बई एवं प्राकृत भारती, अध्ययनों में विभक्त है / इन पैंतालिस अध्यायों में जयपुर से हिन्दी अनुवाद के साथ / / से प्रत्येक में एक ऋषि का उपदेश सङ्कलित २८-द्वीपसागरप्रज्ञप्ति-प्रस्तुत प्रकीर्णक में 225 है / इस प्रकार यह ग्रन्थ पैंतालीस ऋषियों के गाथाएँ हैं / इसके कर्ता अज्ञात हैं / इसमें मनुष्य 12. 'नन्दीसूत्र चूर्णि. पृ० 18 . प्रकीर्णक साहित्य : एक अवलोकन
SR No.004445
Book TitleAgam Chatusharan Prakirnakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_chatusharan
File Size12 MB
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