________________ परिशिष्ट-९ I ग्रन्थगाथाऽकारादिक्रमः अञ्चन्भूयगुणवंते / / 21 / / खीरासव महुआसव / / 34 / / |पवरसुकएहि पत्तं / / 42 / / अन्नेसु य जीवेसुं / / 53 / / खंडियसिणेहदामा / / 36 / / पडिवन्नसाहुसरणो / / 41 / / अमरिंद-नरिंद / / 9 / / | गय, वसह, सीह / / 8 / / पडिपिल्लियपडिणीया / / 27 / / अरिहत्तं अरिहंतेसु / / 56 / / | गुणधारणरूवेणं / / 7 / / पत्तेण अपत्तेण य / / 43 / / अरिहत्त सिद्ध साहू / / 11 / / | चउदस-दस-नवपुव्वी / / 33 / / / पावियपरमाणंदा / / 28 / / अरिहंतसरणमलसुद्धि / / 23 / / चउरंगो जिणधम्मो / / 62 / / |भासुरसुवन्नसुंदर / / 48 / / अह सो दुक्कडगरिहा / / 55 / / चउसरणगमणसंचिय / / 49 / / मंदणुभावा बद्धा / / 60 / / अह सो जिणभत्ति / / 12 / / | चउसरणगमण / / 10 / / मिच्छत्ततमंधेणं / / 51 / / अहवा सव्वं चिय / / 58 / / | चरणाइयाइयाणं / / 6 / / मिल्हियविसय-कसाया / / 37 / / इय जीव ! पमाय / / 63 / / | चारित्तस्स विसोही / / 2 / / मूलुक्खयपडिवक्खा / / 26 / / इहभवियमन्नभवियं / / 50 / / | जं मण-वय-काएहिं / / 54 / / राग-द्दोसारीणं / / 13 / / उवलद्धपरमबंभा / / 29 / / | जियलोयबंधुणो / / 31 / / . रायसिरिमवकमिंता / / 14 / / उज्झियजर-मरणाणं / / 22 / / | ता एयं कायव्वं / / 6 / / वयणामएण भुवणं / / 20 / / उज्झियवइर-विरोहा / / 35 / / तियलोयमत्थयत्था / / 25 / / सव्वजियाणमहिंसं / / 17 / / एगाइ गिरा णेगे / / 19 / / थुइ-वंदणमरिहंता / / 15 / / / सावज्जजोगविरई / / 1 / / ओसरणमवसरिता / / 18 / / | दंसणयारविसोही / / 3 / / | साहुत्तसुट्ठिया जं / / 40 / / कम्मट्ठक्खयसिद्धा / / 24 / / | नरयगइगमणरोहं / / 47 / / साहूण साहुचरियं च / / 57 / / कामविडंबणचुक्का / / 39 / / | नाणाईया उ गुणा / / 4 / / सिद्धसरणेण / / 30 / / कालत्तए वि न मयं / / 45 / / निद्दलियकलुसकम्मो / / 44 / / सुय-धम्म-संघ / / 52 / / केवलिणो परमोही / / 32 / / | परमणगयं मुणिता / / 16 / / सुहपरिणामो निच्चं / / 59 / / खलियस्स य तेसि / / 5 / / | पसमियकामपमोहं / / 46 / / हिंसाइदोससुना / / 38 / /