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________________ . HESH की भाँति कुएँ, समुद्र आदि के छपा है-वह फोटो नीचे देखिये. पानी से भी भाप निकलती है। (3)अग्नि- मनुष्य की भाँति अग्नि भी आहार (ईंधन) पाकर बढ़ती है, उसके अभाव में बुझ जाती है। (4)वायु- अन्य जीवों की तरह वायु के शरीर का संकोच व विकोच होता है। (5)वनस्पति-. मनुष्य की भाँति वनस्पति, जल, वायु, खाद, धूप आदि पाकर वृद्धि को प्राप्त होती है। उनके अभाव में नष्ट हो जाती है। छुई-मुई आदि वनस्पतियाँ स्पर्श डॉ. जगदीशचन्द्र बसु ने वनस्पति पाकर भय/लज्जा से संकुचित में जीवत्व की सिद्धि की एवं दूरबीन के माध्यम से विविध प्रयोगों के द्वारा हो जाती हैं। अनेक फल-फूल, उनमें घटित होने वाले हर्ष-शोक पौधे मधुर संगीत से जल्दी को साक्षात् रूप से दिखाया / अंकुरित एवं पुष्पित होते हैं। प्र227 सक्ष्म और बादर से क्या अभिप्रायहै? कोकनद का वृक्ष क्रोध में हुंकार उ जिन जीवों का शरीर इतना छोटा करता है। होता है कि नेत्र अथवा यंत्र के द्वारा सूक्ष्मदर्शक यंत्र से कैप्टन स्कोर्स भी देखा न जा सके, उन्हें सूक्ष्म जीव बी. ने पानी की एक बूंद में 36450 कहते है। चलते-फिरते जीव प्रमाणित किये जिन जीवों को नेत्र, यंत्र आदि के हैं। उसका फोटो इलाहाबाद द्वारा देख पाना संभव हो, वे बादर गवर्नमेंट प्रेस में मुद्रित सिन्ध जीव कहलाते हैं। पदार्थ विज्ञान नामक पुस्तक में एकेन्द्रिय सूक्ष्म/बादर, दोनों प्रकार
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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