________________ अष्ट प्रवचन माता : समिति और गुप्ति प्र.183.अष्टप्रवचन माता से क्या अभिप्राय है? पनिका समिति 6. मनोगुप्ति 7. वचन उ. पाँच समिति और तीन गुप्ति को गुप्ति 8. काय गुप्ति। अष्टप्रवचन माता कहते है। प्र.186. समिति के पाँच प्रकारों को स्पष्ट प्र.184.अष्ट प्रवचन माता को साधु की कीजिये। ___माता क्यों कहा जाता है? . . उ. 1. ज्ञान-दर्शन-चारित्र की विशुद्धि, उ. 1. द्वादशांगी स्वरूप प्रवचन जयणा एवं संयम के लक्ष्य से चार (जिनवाणी) की जन्मदात्री होने से हाथ प्रमाण आगे की भूमि को समिति-गुप्ति को माता कहते है। एकाग्रतापूर्वक देखते हुए गमना2. जिस प्रकार एक माँ संतान के गमन करना ईर्या समिति हित-अहित का ध्यान रखती हुई कहलाती है। उसका लालन-पालन करती है 2. हित, मित, प्रिय, निरवद्य एवं एवं उन्नति की कामना करती है, असंदिग्ध भाषा का प्रयोग करना उसी प्रकार समिति एवं गुप्ति रूप भाषा समिति कहलाती है। अष्ट प्रवचन (जिनाज्ञा) माता 3. शुद्ध, कल्पनीय आहार, वस्त्र, संयमी के हित-अहित का ध्यान पात्र, शय्या आदि की संयमपूर्वक रखती है, उसे दोषों से बचाती है, गवेषणा/खोज करना एषणा गुणों का प्रकटीकरण करती है समिति कहलाती है। तथा सर्वोत्कृष्ट उन्नति रूप 4. वस्त्र, पात्र, पुस्तक आदि सिद्धत्व की आभा से परिपूर्ण उपकरणों को उपयोगपूर्वक बनाती है। देखकर एवं रजोहरण से प्रमार्जना प्र.185.अष्ट प्रवचन माता के कितने भेद करके लेना एवं रखना आदान . होते हैं? भण्डमत्त निक्षेपण समिति उ. आठ भेद- 1. ईर्या समिति 2. भाषा कहलाती है। समिति 3. एषणा समिति 4. आदान 5. मल, मूत्र, कफ, श्लेष्म आदि भंडमत्त निक्षेपण समिति 5. पारिष्ठा अनावश्यक वस्तुओं को निर्दोष **************** 57 ** * ********