________________ समस्त कर्म क्षय कर जीव को संसार चक्र से मुक्त करता है। प्र.182. रत्नत्रयी के उपकरण बताईए। उ. 1. जिनप्रतिमा, जिनमंदिर, स्थापना चार्य, सम्यक्दर्शनी आदि सम्यक् दर्शन के उपकरण हैं। 2. आगम, शास्त्र, पुस्तक, ठवणी, नवकारवाली, कलम आदि ज्ञानोपकरण हैं। 3. आसन, मुँहपत्ति, रजोहरण (चरवला), डंडासन, पात्र, वस्त्र आदि चारित्रोपकरण हैं। ** * *** *** * 56 *** * * *****