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________________ मिनट हुआ। इस समय के अनुसार(i) पोरिसी- 6 (सूर्योदय) + 3 घण्टा15 मिनट (1 प्रहर) = 9 बजे 15 मिनट। (ii) साड्ढपोरिसी - 6 (सूर्योदय) + 4 घण्टा 52 मिनट 30 सैकेण्ड (डेढ प्रहर) = 10 बजे 52 मिनट 30 सैकेण्ड़। (ii)पुरिमड्ढ - 6 (सूर्योदय) + 6 घण्टा 30 मिनट (दो प्रहर) = 12 बजे 30 मिनट। (iv)अवड्ढ-6 (सूर्योदय) + 9 घण्टा 45 मिनट = 3 बजे 45 मिनट / प्र.159. नवकारसी, पोरिसी कब लेने चाहिये? उ. नवकारसी, पोरिसी, साड्ढपोरिसी के प्रत्याख्यान सूर्योदय से पूर्व तथा पुरिमड्ढ, अवड्ढ के प्रत्याख्यान दिन के प्रथम प्रहर के अन्दर अन्दर लेने चाहिए। यह शास्त्रोक्त विधि है। कदाच सविधि नहीं हो पाये तो भी प्रत्याख्यान तो लेने ही चाहिये, उसका लाभ अवश्य प्राप्त होता है। प्र.160. महाराज श्री! पूर्व में रात्रि भोजन किया हो तो दूसरे दिन उपवास किया जा सकता है या नहीं? उपवास के संदर्भ में शुद्ध शास्त्रीय परम्परा इस प्रकार है कि उपवास के पूर्व दिन एवं पारणे के दिन एकासन तप करना चाहिए। इस प्रकार की परम्परा वर्तमान में लुप्त प्रायः हो चुकी है पर यह तो स्पष्ट ही है कि उपवास से पहली रात्रि में भोजन का सर्वथा निषेध करना चाहिये। प्र.161.प्रत्याख्यान के परिप्रेक्ष्य में किन किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिये? उ. 1. एकासने का प्रत्याख्यान करने वाला प्रत्याख्यान पारने से पूर्व उससे बड़े यानि नीवी, आयंबिल, उपवास का प्रत्याख्यान कर सकता है. परन्तु छोटे प्रत्याख्यान यथा बियासना आदि नहीं कर सकता है। ,. 2. बियासने से उपवास तक के प्रत्याख्यान में अचित्त पानी का उपयोग होता है, कच्चे (सचित्त) पानी का नहीं। तीन बार उबाल आने पर ही पानी पूरी तरह अचित्त होता है। . 3. उपवास के पूर्व दिन गरिष्ठ एवं अधिक नमकीन भोजन का त्याग करना चाहिए। 4. प्रत्याख्यान में क्रोध, अहंकार एवं निंदा का त्याग एवं ब्रह्मचर्य पालन, आत्म चिंतन और स्वाध्याय ********* ***** 48
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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