________________ - संवर की साधना : प्रत्यारव्यान प्र.155.प्रत्याख्यान से क्या अभिप्राय है? बाद आता है। उ. पाप क्रिया का मर्यादा पूर्वक त्याग 5. अवड्ढ- सूर्योदय से तीन प्रहर करना प्रत्याख्यान कहलाता है। बाद आता है। प्र.156. प्रतिक्रमण में कौनसे प्रत्याख्यान 6. बियासना- दिन में दो बार ही लिये जाते हैं? आहार लेना। उ. 1. पाणाहार-गर्म (अचित्त) पानी 7. एकासना- दिन में एक बार ही युक्त यानि उपवास, आयम्बिल, आहार लेना। नीवी, एकासन, बियासन करने 8. नीवी- छह विकृतियों का त्याग वाले के पाणाहार का प्रत्याख्यान करके एक बार आहार लेना। होता है। 9. आयंबिल- छह विकृति, नमक 2. चौविहार- रात्रि में पानी का आदि मसालों से रहित उबला सर्वथा त्याग करने वाले के हुआ शुद्ध आहार लेना। चौविहार का प्रत्याख्यान होता है। 10.तिविहार उपवास - केवल 3. दुविहार- रात्रि में केवल पानी __ उबला हुआ पानी लेना। पीने वालों के दुविहार का प्रत्याख्यान होता है। तपागच्छ में 11.चौविहार उपवास - भोजन व तिविहार का प्रत्याख्यान होता है। पानी का सर्वथा त्याग करना। प्र.157.विविध प्रत्याख्यानों के संदर्भ में प्र.158. एक प्रहर तीन घण्टे का होता है जानकारी दीजिये। अथवा उससे कम-ज्यादा? उ. 1. नवकारसी- सूर्योदय से 48 उ. प्रहर का मान दिन-रात्रि के मान के __ मिनट बाद आती है। अनुसार बदलता रहता है। दिन चार 2. पोरिसी- सूर्योदय से एक प्रहर प्रहर का और रात्रि चार प्रहर की होती बाद आती है। है। जैसे यदि सूर्योदय 6 बजे और 3. साड्ढपोरिसी- सूर्योदय से डेढ सूर्यास्त 7 बजे होता है तो दिन 13 ___ प्रहर बाद आती है। घण्टे का होता है। एक दिन में चार 4. पुरिमड्ढ- सूर्योदय से दो प्रहर प्रहर होने से एक प्रहर 3 घण्टा 15