________________ नोनयन बंद अग्रभाग पर स्थापित करनी प्र.153. कौनसा प्रतिक्रमण सम्पूर्ण वर्ष में चाहिए। संभव न हो तो नयन बंद कितनी बार आता है ? कर लेने चाहिए। उ. (1) देवसिक एवं रात्रिक प्रतिक्रमण 2. कायोत्सर्ग में दोनों पाँवों के प्रतिदिन होता है। अग्रभाग में चार अंगुल एवं पीछे (2) पाक्षिक प्रतिक्रमण इक्कीस बार। चार अंगुल से कुछ कम प्रमाण (3) चातुर्मासिक प्रतिक्रमण तीन बार। अंतर रखना चाहिये। (4) सांवत्सरिक प्रतिक्रमण एक बार। 3. कायोत्सर्ग में चरवला बाये हाथ में प्र.154.प्रतिक्रमण किस-किसका किस होना चाहिये। उसकी डंडी बाहर सूत्र से किया जाता है ? की ओर निकली हुई होनी चाहिए। उ. (1)मिथ्यात्व का अठारह पापस्थानकों मुँहपत्ति दाये हाथ में रखनी के पाठ से। चाहिये। (2)अविरति का-इच्छामि पडिक्कमिउं 4. हाथ-पाँव हिलाये बिना एकाग्र एवं वंदित्तु सूत्र से। चित्त से कायोत्सर्ग करना चाहिये। (3)प्रमाद का-इरियावही, वंदित्तु से। लोगस्स आता हो तो लोगस्स से (4) कषायं का-अठारह पापस्थानक ही कायोत्सर्ग करना चाहिये। एवं इच्छामि पडिक्कमिउं से। नवकार गिनना लोगस्स नहीं आने (5) अशुभ योग का-सात लाख आदि की स्थिति में ही उपयुक्त है। से।