________________ 3. चरवला- डण्डी 24 अंगुल प्रमाण प्र.135. सामायिक के कितने दोष कहे। एवं दस्सियाँ 8 अंगुल प्रमाण। गये हैं? प्र.132.एक साथ कितनी सामायिक ली उ. 10 मन के, 10 वचन के और 12 काया जा सकती है? के-कुल 32 दोष। उ. एक साथ दो सामायिक ली जा प्र.136. किनकी सामायिक जिनशासन में सकती है। प्रसिद्ध है? प्र.133.सामायिक में रहा हुआ साधक उ. पूणिया श्रावक एवं केसरी चोर की। बिना पारे और कितनी सामायिक प्र.137 सामायिक में बारह प्रकार के कर सकता है ? . तप किस प्रकार पलते हैं ? बिना पारे दो और सामायिक की जा उ. (1-4) सामायिक में भोजन का सर्वथा सकती है। परन्तु क्रिया में थोड़ा फर्क त्याग होने से अनशन, उणोदरी, होता है। सामायिक पारे बिना पुनः वृत्ति-संक्षेप एवं रस परित्याग, इन सामायिक लेने पर सबसे पहले चार प्रकार के तपों का स्वयमेव पालन मुँहपत्ति पडिलेहण पूर्वक तीन बार होता है। करेमि भंते बोलना चाहिये। (5) काय-क्लेश-पंखे आदि बाह्य इरियावही, बेसणो आदि करने की सुविधाओं का त्याग होता है। जरूरत नहीं होती। सज्झाय के (6) संलीनता-शरीर की क्रियाओं आदेश में 'सज्झाय में हूँ' ऐसा कहना कासंकोच किया जाता है। चाहिये। चौथी सामायिक लेने से (7) आलोचना-पूर्वकृत पापों की पुनः पहले सामायिक पारनी ही होती है। पुनः आलोचना, निंदा, गर्दा की जाती प्र.134. चलती हुई ट्रेन में सामायिक की जा सकती है अथवा नहीं? (8) विनय-गुरु आदि का विनय श्रीपाल-मयणा सुन्दरी के कथानक किया जाता है। में जहाज में सामायिक व्रत करने का (9) वैयावच्च-गुरु भगवंतों की सेवा प्रसंग आता है, उस आधार पर ट्रेन में की जाती है। सामायिक की जा सकती है परन्तु उसमें (10) स्वाध्याय- होता है। विजातीय, सचित्त आदि के संघट्टे का (11) धर्म-ध्यान व शुक्ल ध्यान पूर्ण विवेक रखना चाहिये। ध्याया जाता है। (12) कायोत्सर्ग-किया जाता है। है।