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________________ सामायिक में श्रावक तीन योगों एवं करें और एक व्यक्ति शुद्ध श्रद्धापूर्वक प्रथम दो करण से पाप क्रिया का एक सामायिक करें तो भी सामायिक त्याग करता है। अधिक लाभप्रद है। शुद्ध सामायिक प्र.126. तो क्या महाराज श्री! श्रावक व्रताराधना से जीव जघन्यतः तीन सामायिक में सावद्य (पापकारी) भवों में एवं उत्कृष्टतः 15 भवों में कार्यों की अनुमोदना कर सकता हैं? मोक्षगामी होता है। उ. बिल्कुल नहीं! यहाँ जिस अनुमोदना प्र.129. सामायिक में चार धर्मों का पालन की छूट का कथन किया गया है, वह किस प्रकार होता है? दुकान-मकान आदि से सम्बन्धित उ. 1. समस्त पाप क्रियाओं का त्याग होने होने वाले हिंसाकारी कार्यों का से व सकल सृष्टि को अभयदान से अत्याग होने से है, क्योंकि उनकी दानधर्म पलता है। . .. सूक्ष्म रूप से अनुमोदना चालू है। 2. विजातीय स्पर्श-संपर्क का त्याग परन्तु श्रावक सामायिक में चलाकर __ होने से शील धर्म पलता है। हिंसा, चोरी आदि की अनुमोदना 3. चारों आहारों का त्याग होने से तप कदापि नहीं कर सकता। धर्म पलता है। प्र. 127.सामायिक में करणीय एवं 4. धर्मध्यान होने से भावधर्म पलता है। अकरणीय कार्य बताओ। प्र.130. सामायिक में ऊनी आसन क्यों उ. 1. सामायिक में प्रवचन श्रवण, जाप, ध्यान, कायोत्सर्ग, स्वाध्याय, रखना चाहिए? तत्त्व - चर्चा, पुनरावर्तन आदि उ. ऊनी वस्त्र ऊर्जा को संग्रहित करता धार्मिक क्रियाएँ करनी चाहिये। है, अतः जाप आदि धर्म क्रिया से 2. सामायिक में निंदा, विकथा, उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा भूमि में अखबार अथवा स्कूलों की पुस्तकों जाने से रूक जाती है। उसका संग्रह का पठन आदि कार्य नहीं करने . त्रियोगों को एकाग्र, पवित्र एवं निर्मल चाहिये। इसी तरह सावद्य कार्यों बनाता है। का आदेश-उपदेश भी नहीं देना प्र.131.आसन, मुँहपत्ति और चरवले का चाहिए। कितना प्रमाण होना चाहिये? प्र.128. सामायिक का माहात्म्य बताओ। उ. 1. आसन- स्वयं की बैठक से डेढ उ. एक व्यक्ति एक वर्ष तक प्रतिदिन 20 गुणा (समचौरस)। मण की एक खण्डी और ऐसी एक 2. मुँहपति- एक वेंत चार अंगुल लाख खण्डी स्वर्ण मुद्राओं का दान प्रमाण (समचौरस)।
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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